प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को संशोधित राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) को मंजूरी दे दी। इस कार्यक्रम के लिए केंद्र सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट स्वीकृत किया है, जिससे इसकी कुल लागत बढ़कर 2,790 करोड़ रुपये हो गई है। यह बजट 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए तय किया गया है। इस योजना का उद्देश्य देश में डेयरी सेक्टर का आधुनिकीकरण और विस्तार करना है, जिससे दूध की खरीद, प्रसंस्करण क्षमता और गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार होगा। इसके जरिए किसानों को बेहतर बाजार पहुंच और उचित दाम मिलेंगे जिससे ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इस कार्यक्रम में दो प्रमुख घटक शामिल हैं। घटक A के तहत डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाएगा, जिसमें दूध ठंडा करने वाले संयंत्र, उन्नत दूध परीक्षण प्रयोगशालाएं और प्रमाणन प्रणाली बनाई जाएंगी। साथ ही, उत्तर-पूर्व, पहाड़ी क्षेत्रों और केंद्र शासित प्रदेशों में नई गांव स्तरीय डेयरी सहकारी समितियों का गठन होगा। इसके अलावा, इस घटक के तहत दो मिल्क प्रोड्यूसर कंपनियों (MPC) का निर्माण किया जाएगा, जिन्हें सरकार वित्तीय सहायता देगी।
घटक B को “डेयरी थ्रू कोऑपरेटिव्स (DTC)” नाम दिया गया है, जो जापान सरकार और जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) के सहयोग से संचालित होगा। इसका उद्देश्य 9 राज्यों (आंध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) में डेयरी सहकारी समितियों का विकास और दूध उत्पादन, प्रसंस्करण और खरीद-बिक्री ढांचे को मजबूत करना है।
अब तक, इस कार्यक्रम से 18.74 लाख किसान लाभान्वित हो चुके हैं। इससे 30,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा हुई हैं और दूध खरीदने की क्षमता में 100.95 लाख लीटर प्रति दिन की वृद्धि हुई है। देशभर में 51,777 गांव स्तर की दूध परीक्षण प्रयोगशालाओं को अपग्रेड किया गया है। साथ ही, 5,123 बल्क मिल्क कूलर लगाए गए हैं, जिनकी कुल क्षमता 123.33 लाख लीटर है। इसके अलावा, 169 लैब्स को फूरियर ट्रांसफॉर्म इंफ्रारेड (FTIR) मिल्क एनालाइजर से लैस किया गया है, जिससे दूध में मिलावट की जांच आसान हो गई है। 232 डेयरी प्लांट्स में भी उन्नत गुणवत्ता परीक्षण प्रणाली लगाई गई है।
देशभर में 10,000 नई डेयरी सहकारी समितियों का होगा गठन
संशोधित NPDD के तहत देशभर में 10,000 नई डेयरी सहकारी समितियों का गठन किया जाएगा और उत्तर-पूर्व में दूध प्रसंस्करण सुविधाओं का विस्तार होगा। इससे करीब 3.2 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिलेंगे। खास बात यह है कि इसमें 70% महिलाएं लाभान्वित होंगी, जो डेयरी क्षेत्र की मुख्य कार्यबल हैं।
सरकार का मानना है कि यह कार्यक्रम व्हाइट रेवोल्यूशन 2.0 को गति देगा और देश में आधुनिक डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करेगा। इससे किसानों की आय बढ़ेगी, ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और देश का डेयरी क्षेत्र अधिक आत्मनिर्भर और सशक्त बनेगा।