प्रतिक्रिया | Sunday, July 06, 2025

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केंद्र सरकार ने बसों और ट्रकों में हाइड्रोजन के इस्तेमाल के लिए 5 पायलट परियोजनाओं को दी मंजूरी

नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को बढ़ावा देते हुए केंद्र सरकार ने बसों और ट्रकों में हाइड्रोजन के इस्तेमाल के लिए पांच पायलट परियोजनाएं शुरू की हैं। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस मिशन के तहत ट्रांसपोर्ट सेक्टर में हाइड्रोजन परियोजनाओं को लागू करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। विस्तृत जांच के बाद मंत्रालय ने कुल 37 वाहनों (बसों और ट्रकों) और 9 हाइड्रोजन ईंधन भरने वाले स्टेशनों वाली पांच पायलट परियोजनाओं को मंजूरी दी है। ट्रायल के लिए जिन वाहनों को चुना जाएगा, उनमें 15 हाइड्रोजन ईंधन सेल बेस्ड वाहन और 22 हाइड्रोजन अन्तर्दहन इंजन आधारित वाहन शामिल हैं।

ये वाहन देश भर में 10 अलग-अलग मार्गों पर चलेंगे, जिसमें ग्रेटर नोएडा-दिल्ली-आगरा, भुवनेश्वर-कोणार्क-पुरी, अहमदाबाद-वडोदरा-सूरत, साहिबाबाद-फरीदाबाद-दिल्ली, पुणे-मुंबई, जमशेदपुर-कलिंग नगर, तिरुवनंतपुरम-कोच्चि, कोच्चि-एडापल्ली, जामनगर-अहमदाबाद और एनएच-16 विशाखापत्तनम-बय्यावरम शामिल हैं।

मंत्रालय ने कहा, “परियोजनाएं टाटा मोटर्स लिमिटेड, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, एनटीपीसी, एएनईआरटी, अशोक लीलैंड, एचपीसीएल, बीपीसीएल और आईओसीएल जैसी प्रमुख कंपनियों को दी गई हैं।”

चुनी गई परियोजनाओं के लिए सरकार की ओर से कुल वित्तीय सहायता लगभग 208 करोड़ रुपए होगी। इन पायलट परियोजनाओं के अगले 18-24 महीनों में चालू होने की संभावना है। मंत्रालय के अनुसार, “इस योजना का उद्देश्य बस और ट्रक में फ्यूल के रूप में ट्रांसपोर्ट सेक्टर में हाइड्रोजन के यूटिलाइजेशन के लिए कमर्शियली वाइएबल टेक्नोलॉजी का विकास करना है। साथ ही हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशन जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर को सपोर्ट करना है।”

इस मिशन का एक और उद्देश्य बस और ट्रक में फ्यूल के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन के डिप्लॉयमेंट को पायलट बेस पर एक चरणबद्ध तरीके से सपोर्ट करना है।

नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन 4 जनवरी, 2023 को वित्त वर्ष 2029-30 तक 19,744 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू किया गया था।

 

 

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आखरी अपडेट: 6th Jul 2025