एलएसी पर चीन के साथ हुए समझौते पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत और चीन एलएसी के कुछ क्षेत्रों में अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य दोनों स्तरों पर बातचीत कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच समान और पारस्परिक सुरक्षा के सिद्धांतों के आधार पर जमीनी स्थिति बहाल करने के लिए व्यापक सहमति बनी है। इसमें पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त और चराई भी शामिल है। यह सहमति बनना लगातार बातचीत का ही नतीजा है, जिसके परिणाम देर-सबेर सामने आएंगे।
चाणक्य डिफेंस डायलॉग का दूसरा संस्करण
दरअसल, चाणक्य डिफेंस डायलॉग का दूसरा संस्करण गुरुवार से नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में शुरू हुआ। ‘राष्ट्र निर्माण में प्रेरक: व्यापक सुरक्षा के माध्यम से विकास को बढ़ावा देना’ थीम पर दो दिनों तक नीति निर्माता, विद्वान और विशेषज्ञ वर्तमान सुरक्षा चिंताओं को समझने, राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए राष्ट्र निर्माण के मुद्दों पर चर्चा करेंगे। रक्षा मंत्री ने ‘भारत के विकास और सुरक्षा के दृष्टिकोण’ पर अपने विचार रखते हुए कहा कि दूसरा चाणक्य रक्षा संवाद गहन विचार-विमर्श को सुविधाजनक बनाएगा, रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देगा और राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास को बढ़ाने के लिए कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि के निर्माण में योगदान देगा।
रक्षा व्यय तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देता है
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सुरक्षा को अक्सर सीमा सुरक्षा से जोड़कर देखा जाता है। जब हम सुरक्षा के बारे में सोचते हैं, तो हमारे दिमाग में सीमा पर तैनात सैनिकों, आसमान में गश्त करने वाले विमानों और समुद्र की रखवाली करने वाले नौसैनिक जहाजों की छवि आम तौर पर आती है। जब हम घरेलू स्तर पर हथियार और रक्षा उपकरण बनाते हैं, तो इससे न केवल हमारा सुरक्षा ढांचा मजबूत होता है, बल्कि अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्र भी मजबूत होते हैं। हमें इस बात का गंभीरता से पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए कि आर्थिक विकास के बारे में चर्चा में रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को अधिक महत्व क्यों नहीं दिया जाता है। रक्षा व्यय तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देता है, रोजगार सृजन करता है तथा विभिन्न उद्योगों को प्रोत्साहित करता है, फिर भी पारंपरिक आर्थिक अध्ययनों में इसे तुलनात्मक रूप से बहुत कम ध्यान दिया जाता है।