प्रतिक्रिया | Sunday, August 03, 2025

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निर्यात से बढ़ेगी मांग, भारत में हरित हाइड्रोजन की खपत 1.1 एमएमटी तक पहुंचने की संभावना: रिपोर्ट 

भारत ने 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर हरित हाइड्रोजन की मांग को पेश करना महत्वपूर्ण है। गुरुवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, निर्यात के अवसरों से हरित हाइड्रोजन की मांग में 1.1 एमएमटी तक की वृद्धि हो सकती है।

रिपोर्ट में स्पष्ट रूपरेखा दी गई है कि भारत किस तरह से हरित हाइड्रोजन की बड़े पैमाने पर मांग को प्रोत्साहित कर सकता है और अपने लक्ष्य को वास्तविकता में बदल सकता है

बैन एंड कंपनी, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (आरएमआई) की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि मांग पक्ष पर समान प्रोत्साहन के बिना यह क्षमता अप्रयुक्त रह सकती है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूपरेखा दी गई है कि भारत किस तरह से हरित हाइड्रोजन की बड़े पैमाने पर मांग को प्रोत्साहित कर सकता है और अपने लक्ष्य को वास्तविकता में बदल सकता है।

ग्लोबल फ्रंट पर, ग्रीन हाइड्रोजन, अमोनिया और ग्रीन स्टील के निर्यात से 1.1 एमएमटी का योगदान हो सकता है

रिपोर्ट के अनुसार, ऑयल रिफाइनिंग, उर्वरक उत्पादन और पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) वितरण जैसी मौजूदा औद्योगिक प्रक्रियाओं में ग्रीन हाइड्रोजन को मिलाकर 2030 तक 3 एमएमटी तक की मांग पैदा की जा सकती है। ग्लोबल फ्रंट पर, ग्रीन हाइड्रोजन, अमोनिया और ग्रीन स्टील के निर्यात से 1.1 एमएमटी का योगदान हो सकता है, जबकि इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ग्रीन स्टील की सार्वजनिक खरीद से 0.6 एमएमटी की मांग पैदा हो सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रीन हाइड्रोजन का छोटा प्रतिशत भी मिलाना रिफाइनिंग में 10 प्रतिशत और उर्वरकों में 20 प्रतिशत न्यूनतम लागत वृद्धि के साथ हासिल किया जा सकता है

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रीन हाइड्रोजन का छोटा प्रतिशत भी मिलाना (रिफाइनिंग में 10 प्रतिशत और उर्वरकों में 20 प्रतिशत) न्यूनतम लागत वृद्धि के साथ हासिल किया जा सकता है। जैसे-जैसे उत्पादन लागत में गिरावट जारी रहेगी, इन मिश्रण दरों को बढ़ाया जा सकता है, जिससे अंतिम उपयोगकर्ताओं पर दबाव डाले बिना उच्च मांग को सक्षम किया जा सके।

रिपोर्ट में रसायन, कांच और सिरेमिक जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में अवसरों पर भी प्रकाश डाला गया है। ये उद्योग पहले से ही हाइड्रोजन का बड़े पैमाने पर उपयोग करते हैं और ग्रीन हाइड्रोजन के साथ छोटे पैमाने पर प्रतिस्थापन – विशेष रूप से स्मॉल प्लेयर्स के लिए, जो ग्रे हाइड्रोजन के लिए अधिक भुगतान करते हैं, वे 2030 तक 0.07 एमएमटी तक की अतिरिक्त मांग को बढ़ा सकते हैं।

रिन्यूएबल एनर्जी में भारत की बढ़ती ताकत और अपेक्षाकृत कम उत्पादन लागत भी इसे वैश्विक मांग का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में रखती है

रिपोर्ट में एक और महत्वपूर्ण सुझाव सार्वजनिक खरीद का लाभ उठाना है। पुल, आवास और रेलवे जैसी सरकारी परियोजनाओं में ग्रीन स्टील के उपयोग को अनिवार्य कर सरकार एक एंकर ग्राहक के रूप में कार्य कर सकती है और दीर्घकालिक मांग स्थिरता बना सकती है। रिन्यूएबल एनर्जी में भारत की बढ़ती ताकत और अपेक्षाकृत कम उत्पादन लागत भी इसे वैश्विक मांग का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में रखती है।रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत यूरोपीय संघ और दक्षिण कोरिया जैसे देशों की ग्रीन हाइड्रोजन आयात जरूरतों का केवल 5-7.5 प्रतिशत ही पूरा कर पाता है, तो यह अतिरिक्त 0.8-1.1 एमएमटी मांग पैदा कर सकता है।

आपूर्ति पक्ष पहले से ही तेजी से विस्तार कर रहा है, लेकिन 2030 के लक्ष्य को पूरा करने के लिए मिश्रण, सार्वजनिक खरीद और निर्यात रणनीतियों जैसे मांग-पक्ष हस्तक्षेप आवश्यक हैं

काउंसिल के सह-अध्यक्ष विनीत मित्तल ने व्यापक रूप से अपनाने के लिए दीर्घकालिक ऑफटेक समझौतों, कम लागत वाले वित्त और इनपुट लागत अनुकूलन की आवश्यकता पर बल दिया। बैन एंड कंपनी के सचिन कोटक ने कहा कि आपूर्ति पक्ष पहले से ही तेजी से विस्तार कर रहा है, लेकिन 2030 के लक्ष्य को पूरा करने के लिए मिश्रण, सार्वजनिक खरीद और निर्यात रणनीतियों जैसे मांग-पक्ष हस्तक्षेप आवश्यक हैं।(इनपुट-आईएएनएस)

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आखरी अपडेट: 3rd Aug 2025