विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सिंगापुर में आयोजित आसियान-भारत थिंक टैंक नेटवर्क के 8वें राउंडटेबल को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग की दिशा और रणनीति तय करने में आसियान की केंद्रीय भूमिका होगी। अपने संबोधन में एस. जयशंकर ने वैश्विक परिवर्तनों के बीच मजबूत और विश्वसनीय साझेदारियों पर जोर दिया। बता दें कि इस इवेंट का मुख्य विषय परिवर्तनशील दुनिया में मार्गदर्शन: आसियान-भारत साझेदारी का एजेंडा था।
एस. जयशंकर ने कहा कि आसियान केन्द्रीयता हमारे लिए एक मुख्य सिद्धांत होगा क्योंकि यह क्षेत्र भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उन्होंने यह भी बताया कि दुनिया में हो रहे बदलावों के बीच सप्लाई चेन को मजबूत करना, विश्वासपूर्ण साझेदारों के साथ काम करना और उत्पादन को विविध बनाना आवश्यक है।
भारत और आसियान के लिए सहयोग के नए अवसरों का है यह समय : विदेश मंत्री
अपने भाषण में विदेश मंत्री ने नई प्रौद्योगिकियों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के विकास का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह समय विशेष रूप से शिक्षा, कौशल विकास, और मानव तथा उद्यम की गतिशीलता के क्षेत्र में भारत और आसियान के लिए सहयोग के नए अवसरों का है। उन्होंने कहा “भारत और आसियान दोनों विशाल और युवा जनसंख्याओं वाले क्षेत्र हैं जिनकी उभरती मांग एक-दूसरे को समर्थन देने के साथ-साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।”
डाॅ.एस. जयशंकर ने ऊर्जा क्षेत्र पर भी ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि हमने ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया जैसे क्षेत्रों में सहयोग को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा “हम एक ऐसे युग के लिए तैयार हो रहे हैं, जिसमें इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, ग्रीन शिपिंग और ग्रीन स्टील जैसे टिकाऊ उपाय महत्वपूर्ण होंगे”।
उन्होंने भारत द्वारा संचालित कई प्रमुख कनेक्टिविटी परियोजनाओं का भी उल्लेख किया जिसमें भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारा, आईएनएसटीसी (अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा), पूर्व की ओर त्रिपक्षीय राजमार्ग शामिल हैं, जो क्षेत्रीय विकास और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। एस. जयशंकर ने कहा “हमारे भारत और ASEAN के बीच सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध बहुत गहरे हैं, और यह हमें मजबूत सहयोग और साझेदारी की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं”। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि जैसे-जैसे भारत का इंडो-पैसिफिक और क्वाड (Quad) के साथ जुड़ाव बढ़ेगा ASEAN की केंद्रीय भूमिका भारत की रणनीति के लिए अहम होगी।