प्रतिक्रिया | Sunday, December 22, 2024

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16/07/24 | 1:08 pm

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लोक पर्व हरेला : उत्तराखंड के सीएम ने वीरगति को प्राप्त उत्तराखंड के 5 सैनिकों के याद में लगाए पांच पौधे

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज (मंगलवार) लोक पर्व हरेला के अवसर पर वृक्षारोपण अभियान में हिस्सा लिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हरेला पर्व हमारा प्रकृतिक के संरक्षण और पूजन का एक महापर्व है और इस पर्व हमने तय किया है कि 1 करोड़ से अधिक सभी विभाग हमारे वृक्षों को रोपित करेंगे। इससे पहले सीएम धामी ने लोक पर्व हरेला के अवसर पर समस्त प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरेला पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास परिसर में वृक्षारोपण किया। इस मौके पर सीएम धामी ने मीडिया से कहा, “हरेला पर्व हमारा प्रकृतिक के संरक्षण और पूजन का एक महापर्व है और इस पर्व हमने तय किया है कि 1 करोड़ से अधिक सभी विभाग हमारे वृक्षों को रोपित करेंगे। आज के दिन प्रदेश में 50 लाख वृक्ष को रोपित किए जाएंगे। साथ ही हमने उत्तराखंड के पांच सैनिक जो वीरगति को प्राप्त हुए उनके स्मरण में हमने पांच पौधों को रोपित किया। मैं सभी से अुनरोध करता हूं कि उनके याद में 5 पौधे जरूर रोपित करें।” बता दें, इस अवसर पर मुख्यमंत्री आवास में विभिन्न प्रजातियों के 51 पौधे लगाए गए।

दरसल लोक पर्व हरेला त्यौहार उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मनाया जाता है। हरेला का मतलब है हरियाली। उत्तराखंड राज्य कृषि पर निर्भर रहा है और यह लोकपर्व इसी पर आधारित है। उत्तराखंड का महापर्व हरेला यहां ​की एक प्राचीन और पौराणिक परंपरा है। इस पर्व की शुरुआत 9 दिन पहले हो जाती है। नौ दिन पहले घरों में किसी बांस के टोकरे में हरेला बोया जाता है और इसे सींचा जाता है। इसके बाद हरेला पर्व के दिन विधि-विधान से पूजा के बाद इसे काटा जाता है और कटे हुए हरेला को घर के सभी सदस्य अपने कान के पीछे लगाते हैं। इसे अच्छी फसल, हरियाली और ऋतु परिवर्तन का सूजन माना जाता है। मान्यता है कि हरेला की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

बीजों के संरक्षण, खुशहाल पर्यावरण को भाव और भक्ति से जोड़ते हुए इस त्योहार को पूर्वजों ने आगे पीढ़ियों तक पहुंचाया। इस पर्व के समय शिव और पार्वती की पूजा का विधान है। आज 16 जुलाई की संक्रांति को यह त्योहार मनाया जा रहा है। उत्तराखंड में सावन मास की शुरुआत हरेला पर्व से होती है।

वहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समस्त प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “जी रया, जागि रया..फूल जैसा खिली रया..यौ दिन यौ मास, सभै भेटने रया ! प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति समर्पित देवभूमि उत्तराखण्ड के लोकपर्व हरेला की समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। प्रभु से प्रार्थना करता हूं कि आप सभी के जीवन में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली बनी रहे।” एक्स पर एक वीडियों सन्देश में उन्होंने लोगों से ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान से जुड़कर अधिक से अधिक संख्या में पौधारोपण कर पर्यावरण को हरा-भरा बनाएं रखने की अपील भी की।

 

लोक पर्व हरेला : उत्तराखंड के सीएम ने वीरगति को प्राप्त उत्तराखंड के 5 सैनिकों के याद में लगाए पांच पौधे

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज (मंगलवार) लोक पर्व हरेला के अवसर पर वृक्षारोपण अभियान में हिस्सा लिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हरेला पर्व हमारा प्रकृतिक के संरक्षण और पूजन का एक महापर्व है और इस पर्व हमने तय किया है कि 1 करोड़ से अधिक सभी विभाग हमारे वृक्षों को रोपित करेंगे। इससे पहले सीएम धामी ने लोक पर्व हरेला के अवसर पर समस्त प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरेला पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास परिसर में वृक्षारोपण किया। इस मौके पर सीएम धामी ने मीडिया से कहा, “हरेला पर्व हमारा प्रकृतिक के संरक्षण और पूजन का एक महापर्व है और इस पर्व हमने तय किया है कि 1 करोड़ से अधिक सभी विभाग हमारे वृक्षों को रोपित करेंगे। आज के दिन प्रदेश में 50 लाख वृक्ष को रोपित किए जाएंगे। साथ ही हमने उत्तराखंड के पांच सैनिक जो वीरगति को प्राप्त हुए उनके स्मरण में हमने पांच पौधों को रोपित किया। मैं सभी से अुनरोध करता हूं कि उनके याद में 5 पौधे जरूर रोपित करें।” बता दें, इस अवसर पर मुख्यमंत्री आवास में विभिन्न प्रजातियों के 51 पौधे लगाए गए।

दरसल लोक पर्व हरेला त्यौहार उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मनाया जाता है। हरेला का मतलब है हरियाली। उत्तराखंड राज्य कृषि पर निर्भर रहा है और यह लोकपर्व इसी पर आधारित है। उत्तराखंड का महापर्व हरेला यहां ​की एक प्राचीन और पौराणिक परंपरा है। इस पर्व की शुरुआत 9 दिन पहले हो जाती है। नौ दिन पहले घरों में किसी बांस के टोकरे में हरेला बोया जाता है और इसे सींचा जाता है। इसके बाद हरेला पर्व के दिन विधि-विधान से पूजा के बाद इसे काटा जाता है और कटे हुए हरेला को घर के सभी सदस्य अपने कान के पीछे लगाते हैं। इसे अच्छी फसल, हरियाली और ऋतु परिवर्तन का सूजन माना जाता है। मान्यता है कि हरेला की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

बीजों के संरक्षण, खुशहाल पर्यावरण को भाव और भक्ति से जोड़ते हुए इस त्योहार को पूर्वजों ने आगे पीढ़ियों तक पहुंचाया। इस पर्व के समय शिव और पार्वती की पूजा का विधान है। आज 16 जुलाई की संक्रांति को यह त्योहार मनाया जा रहा है। उत्तराखंड में सावन मास की शुरुआत हरेला पर्व से होती है।

वहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समस्त प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “जी रया, जागि रया..फूल जैसा खिली रया..यौ दिन यौ मास, सभै भेटने रया ! प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति समर्पित देवभूमि उत्तराखण्ड के लोकपर्व हरेला की समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। प्रभु से प्रार्थना करता हूं कि आप सभी के जीवन में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली बनी रहे।” एक्स पर एक वीडियों सन्देश में उन्होंने लोगों से ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान से जुड़कर अधिक से अधिक संख्या में पौधारोपण कर पर्यावरण को हरा-भरा बनाएं रखने की अपील भी की।

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आखरी अपडेट: 22nd Dec 2024