प्रतिक्रिया | Wednesday, April 23, 2025

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पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (एमडीओएनईआर) ने मंगलवार को नई दिल्ली में राजदूतों की एक बैठक आयोजित की, जिसमें 80 से अधिक देशों के राजदूतों, उच्चायुक्तों और वरिष्ठ राजनयिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसका उद्देश्य उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) की अकूत संभावनाओं को प्रदर्शित करना और सतत विकास के लिए द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना था।

राजदूतों की बैठक में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आर्थिक और भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से इस क्षेत्र के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया। अपने मुख्य भाषण में उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर को कनेक्टिविटी, व्यापार और नवाचार के केंद्र में बदलने के लिए भारत सरकार प्रतिबद्ध है।

ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने रेखांकित किया कि पूर्वोत्तर के आठों राज्यों में से प्रत्येक में अद्वितीय ताकत, संसाधन और अवसर हैं, जो इस क्षेत्र को भारत की विकास कहानी में एक अमूल्य संपत्ति बनाते हैं। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता से लेकर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और रणनीतिक स्थान तक पूर्वोत्तर क्षेत्र में देश की अग्रणी आर्थिक शक्तियों में से एक के रूप में उभरने की अपार संभावनाएं हैं।

उन्होंने कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया से इसकी निकटता भी इसको दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के प्रवेशद्वार के रूप में स्थापित करती है, जो भारत की एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप है। केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कार्यक्रम में भाग लेने वाले देशों को क्षेत्र के समृद्ध संसाधनों और शिल्प कौशल का लाभ उठाते हुए उन्हें पूर्वोत्तर में अवसरों की खोज करने का निमंत्रण दिया।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से कहा कि पूर्वोत्तर भारत की विकास नीतियों में सबसे आगे रहा है। उन्होंने कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट परियोजना के महत्व और दक्षिण पूर्व एशियाई बाजारों के लिए प्रवेशद्वार बनने की पूर्वोत्तर की क्षमता का उल्लेख किया।

वहीं, राज्य मंत्री एमडीओएनईआर डॉ. सुकांत मजूमदार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पूर्वोत्तर राज्य निवेश के अवसरों और एक साथ “विकसित भारत” के निर्माण के लिए बेहतरीन पहलू प्रदान करते हैं।

उन्होंने पिछले 10 वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर क्षेत्र में हुए बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में प्रमुख विकास पहलों पर प्रकाश डाला, जिसमें हवाई, सड़क और रेल संपर्क, जलमार्ग आदि का विस्तार शामिल है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर पूर्व को भारत की अष्टलक्ष्मी के रूप में महत्व दिया है, जो तेजी से औद्योगिकीकरण के लिए एक प्रमुख आर्थिक संपत्ति है।

डॉ. सुकांत मजूमदार ने कहा कि कई क्षेत्रों में पर्याप्त अवसरों के साथ उत्तर पूर्व भारत निवेशकों का स्वागत करता है ताकि वे इसकी अकूत क्षमता का पता लगा सकें और इसकी विकास यात्रा का सहभागी बन सकें।

उल्लेखनीय है, इस कार्यक्रम में राजदूतों और राजनयिक दूतों ने उत्तर पूर्वी राज्यों-अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा द्वारा पेश की गई संभावनाओं का पता लगाने के लिए भारतीय हितधारकों के साथ साझेदारी करने में गहरी रुचि व्यक्त की।

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आखरी अपडेट: 23rd Apr 2025