प्रतिक्रिया | Sunday, December 29, 2024

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समुद्री उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय लगातार प्रयास कर रहा है। यही वजह है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारत ने अब तक की सर्वाधिक मात्रा का सी फूड यानि 17,81,602 मीट्रिक टन निर्यात किया जिसका मूल्य 60,523.89 करोड़ रुपए है ।

यूएस और चीन भारतीय सी फूड के प्रमुख आयातक

यूएसए और चीन भारतीय सी फूड के प्रमुख आयातक हैं। इसके अलावा यूरोपीय संघ, दक्षिण पूर्व एशिया, जापान, मध्य पूर्व व अऩ्य देशों में किया जाता है। मरीन प्रोडक्टस एक्सपोर्ट डेवलेपमेंट अथॉरिटी (एमपीईडीए) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 2024-25 के दौरान मत्स्य और मात्स्यिकी उत्पादों के निर्यात का लक्ष्य यूएसडी 8,000 मिलियन निर्धारित किया गया है और मत्स्य और उत्पादों के निर्यात के लिए 6 नए बाजारों को चिन्हित किया गया है जिनके नाम है- ग्वाडेलोप, मेयट, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, सिएरा लियोन, सूरीनाम और चाड।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना बनी वरदान

मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने वर्ष 2020-21 में कोविड-19 महामारी के दौरान सभी राज्यों /केंद्र शासित प्रदेशों में पांच वर्ष की अवधि अर्थात 2020-21 से 2024-25 के दौरान मात्स्यिकी क्षेत्र में 20050 करोड़ रुपए के अब तक के सबसे अधिक निवेश के साथ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) नामक एक प्रमुख योजना कार्यान्वयन के लिए शुरू की है जिसका उद्देश्य उत्पादन, उत्पादकता और निर्यात को बढ़ाना और मूल्य श्रृंखला में मौजूदा प्रमुख कमियों (की गैप्स) को दूर करना है। इनमें गुणवत्तापूर्ण मत्स्य उत्पादन, खारे पानी की जल कृषि का विस्तार, विविधीकरण (डाईवरसिफिकेशन) और गहनता (इंटेन्सिफिकेशन), निर्यातोन्मुखी प्रजातियों को बढ़ावा देना, प्रौद्योगिकी का समावेश, सुदृढ़ रोग प्रबंधन ढांचा, अच्छी जल कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना, ब्रांडिंग, मानक, प्रमाणन और ट्रेसेबिलिटी, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, निर्बाध कोल्ड चेन के साथ आधुनिक पोस्ट हार्वेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, आधुनिक फिशिंग हार्बर और फिश लैंडिंग केंद्रों का विकास आदि शामिल हैं। इसके अलावा, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने 2018-19 के दौरान मात्स्यिकी और जल कृषि क्षेत्रों की महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु, राज्यों और निजी क्षेत्र को रियायती वित्त प्रदान करने के लिए 7522.48 करोड़ रुपए के कुल फंड के साथ फिशरीज एंड एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपेमेंट फंड (एफआईडीएफ) बनाया है।

समुद्री उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ब्रांड प्रमोशन

मरीन प्रोडक्टस एक्सपोर्ट डेवलेपमेंट अथॉरिटी (एमपीईडीए), वाणिज्य विभाग भारत से अन्य देशों में समुद्री उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ब्रांड प्रमोशन सहित विभिन्न कदम उठा रहा है। इनमें अन्य बातों के अलावा विभिन्न व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों में भागीदारी, और वर्चुअल बायर सेलर मीट (वीबीएसएम) का आयोजन, चिंतन शिविर का आयोजन शामिल है।

मात्स्यिकी के लिए सभी तरह की दी जा रही सुविधाएं

मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन,पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, वर्तमान में चल रही प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को मात्स्यिकी के लिए पोस्ट हार्वेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं जैसे आइस प्लांट/कोल्ड स्टोरेड, फिशिंग हार्बर और फिश लैंडिंग केंद्र, मत्स्य परिवहन सुविधाएं जैसे रेफ्रीजेरेटेड वाहन, इन्सुलेटेड वाहन, आइस बॉक्स के साथ टू वीलर /थ्री वीलर, मत्स्य विपणन सुविधाएं जैसे फिश रिटेल मारकेट्स, फिश कियोस्क, मत्स्य मूल्यवर्धित उद्यम, मत्स्य और मात्स्यिकी उत्पादों की ई-ट्रेडिंग और ई-मारकेटिंग के लिए ई-प्लेटफॉर्म, लाइव फिश वेंडिंग सेंटर आदि के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

मत्स्य पालन विभाग ने की कई पहल

समुद्री उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, मत्स्य पालन विभाग भारत सरकार ने कई पहल की हैं, इनमें अन्य बातों के साथ-साथ 1362 करोड़ रुपये के निवेश से 27,823 आइस प्लांट/कोल्ड स्टोरेज, परिवहन सुविधाओं के लिए सहायता, 1398 डीप सी टूना फिशिंग वेसल्स (1310 करोड़₹) के अधिग्रहण और 1338 फिशिंग वेसल्स (193.64 करोड़₹) को अपग्रेड करने के लिए सहायता, स्कैम्पी, मड क्रैब, एशियन सीबास, कोबिया आदि जैसी निर्यातोन्मुखी मत्स्य प्रजातियों के लिए परियोजनाओं की स्वीकृति, आरएएस और बायोफ्लोक जैसी अत्याधुनिक जल कृषि उत्पादन तकनीकों के लिए सहायता शामिल हैं । इसके अलावा मत्स्यपालन विभाग ने सीएए अधिनियम के तहत विविध प्रजातियों, न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर (एनबीसी) / ब्रूडस्टॉक मल्टीप्लीकेशन सेंटर (बीएमसी) और ब्रूड बैंकों को बढ़ावा देने के लिए दिशानिर्देश अधिसूचित किए हैं ।

वाणिज्य विभाग ने 12/02/2024 को वित्त वर्ष 2023-24 से 2025-26 के लिए समुद्री उत्पादों के लिए प्रसंस्करण क्षमता और मूल्य-संवर्द्धन इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने तथा सख्त निर्यात गुणवत्ता मानकों और खाद्य सुरक्षा मापदंडों के लिए टेकनोलॉजी डेवलेपमेंट फॉर स्पेसिफिक वेल्यू एडेड मरीन प्रोडक्ट(टीडीएसवीएमपी) के लिए दिशा-निर्देशों को स्वीकृति दी है। टीडीएसवीएमपी दिशा-निर्देशों के तहत, मरीन प्रोडक्टस एक्सपोर्ट डेवलेपमेंट अथॉरिटी (एमपीईडीए) ने देश में मूल्य-वर्धित समुद्री खाद्य उत्पादों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए 2023-24 के दौरान 9 लाभार्थियों के लिए 906.70 लाख ₹ जारी किए।

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आखरी अपडेट: 29th Dec 2024