प्रतिक्रिया | Saturday, August 16, 2025

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भारत विश्व की 60 प्रतिशत जंगली आबादी के साथ हाथी संरक्षण में वैश्विक स्तर पर अग्रणी देश : कीर्ति वर्धन सिंह

केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने तमिलनाडु के कोयंबटूर में विश्व हाथी दिवस 2025 समारोह का उद्घाटन किया और हाथियों के संरक्षण के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। इस दौरान, कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि भारत विश्व की 60% जंगली आबादी के साथ हाथी संरक्षण में वैश्विक स्तर पर अग्रणी देश है।

विश्व हाथी दिवस पर कल मंगलवार को उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए, केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत हाथियों के निवास स्थलों की रक्षा के लिए पारंपरिक ज्ञान के साथ एआई, रिमोट सेंसिंग और भू-स्थानिक मानचित्रण जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को जोड़कर उनके लिए एक स्थायी भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।”

उन्होंने स्थानीय समुदायों की भलाई सुनिश्चित करते हुए मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के बीच जुड़ाव, सामुदायिक भागीदारी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया। कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा, “हाथी संरक्षण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता केवल एक नीतिगत विकल्प नहीं है, बल्कि यह हमारे सभ्यतागत मूल्यों और पारिस्थितिक उत्तरदायित्व को प्रतिबिंबित करती है।”

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि 33 हाथी अभयारण्यों, वैज्ञानिक रूप से चिन्हित150 गलियारों और दुनिया की लगभग 60% जंगली हाथियों की आबादी के साथ, भारत सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व के एक वैश्विक उदाहरण के रूप में उभरा है – जहां कानूनी सुरक्षा, वैज्ञानिक योजना और सांस्कृतिक सम्मान मिलकर अपने राष्ट्रीय धरोहर पशु के भविष्य की रक्षा करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हाथियों को राष्ट्रीय धरोहर पशु का दर्जा दिया गया है और भारत की संस्कृति और परंपराओं में उनका एक सम्मानजनक स्थान है।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि हाथियों के साथ भारत का गहरा संबंध है, जो धर्म और संस्कृति में निहित है। भीमबेटका के प्राचीन गुफा चित्रों से लेकर दक्षिण भारत के मंदिर अनुष्ठानों तक, हाथी शक्ति, बुद्धिमत्ता, राजसी वैभव और सौभाग्य के प्रतीक हैं। भगवान गणेश के रूप में पूजे जाने वाले हाथियों ने भारतीय कला, धर्मग्रंथों और दैनिक जीवन को प्रेरित किया है, जो मनुष्यों और इन राजसी प्राणियों के बीच एक शाश्वत सह-अस्तित्व को रेखांकित करता है।

अपनी समृद्ध जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध तमिलनाडु में हाथियों की एक बड़ी आबादी निवास करती है और राज्य लोगों और हाथियों के बीच संघर्ष को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

कोयंबटूर में आयोजित इस कार्यक्रम में वन अधिकारी, नीति निर्माता, वन्यजीव विशेषज्ञ, नागरिक समाज संगठन और संरक्षणवादी एक साथ आए और हाथियों के संरक्षण को बढ़ावा देने वाले ज्ञान और रणनीतियों का आदान-प्रदान किया, साथ ही मानव-हाथी सह-अस्तित्व की चुनौतियों को भी संबोधित किया।

इस दौरान उन्होंने हाथियों के संरक्षण और प्रबंधन में उत्कृष्ट योगदान के लिए निम्नलिखित व्यक्तियों को गज गौरव पुरस्कार प्रदान किए।

1-अरुणाचल प्रदेश – गणेश तमांग, महावत, सुमित गोगोई, हाथी परिचारक, 2-मध्य प्रदेश – केसु सिंह वाल्के, सहायक महावत, सहदान राम लकड़ा, सहायक महावत, 3. तमिलनाडु- एम. मुरली, शिकार विरोधी प्रहरी, एस. कार्तिकेयन, वन रक्षक, 4. उत्तर प्रदेश –इरशाद अली, महावत।

इस कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण था- “स्वस्थ पैर, स्वस्थ हाथी: बंदी एशियाई हाथियों में पैरों की देखभाल के लिए एक मार्गदर्शिका” नामक दस्तावेज़ का विमोचन, जो बेहतर स्वच्छता, निवारक देखभाल, शीघ्र जांच और देखभाल करने वालों की क्षमता निर्माण के माध्यम से बंदी हाथियों के पैरों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए अंतर्दृष्टि और व्यावहारिक सुझाव प्रदान करता है।

इसके अलावा, हाथी संरक्षण और मानव एवं वन्यजीवों के बीच सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान भी शुरू किया गया, जिसमें लगभग 5,000 स्कूलों के करीब 12 लाख छात्र शामिल हुए।

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आखरी अपडेट: 16th Aug 2025