भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गार्गी कॉलेज में बुधवार को ‘भारत: वैश्विक मित्र’ विषय पर श्रोताओं को संबोधित किया। वह इस कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के तौर पर शामिल हुए।
डॉ. एस. जयशंकर ने बताया कि कैसे भारत एक विश्व बंधु है और यह दूसरों के प्रति न्याय, जिम्मेदारी और उदारता में विश्वास करता है। उन्होंने कहा, अपने इस सिद्दांत को भारत ने कई बार प्रदर्शित किया है, चाहे वह कोविड के दौरान अन्य देशों को दवाएं और वैक्सीन भेजना हो, या युद्ध क्षेत्रों से हमारे नागरिकों और दूसरों की सुरक्षित निकासी का मामला हो। भारत एक उभरती हुई शक्ति है और ग्लोबल साउथ के अधिकारों का एक महत्वपूर्ण पैरोकार है।
उन्होंने कहा कि विश्व बंधु की दृष्टि यह है कि आपसी सम्मान और सहयोग के आधार पर दुनिया भर के देशों के साथ मजबूत संबंधों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। साथ ही, अपने उद्देश्यों के प्रति दृढ़ रहना और अपने हितों को भी प्राथमिकता देना है। डॉ. जयशंकर के व्याख्यान ने दुनिया भर में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक विश्वसनीय मित्र और भागीदार के रूप में भारत की स्थिति को स्पष्ट किया।
अपने संबोधन के दौरान, डॉ. जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। वैश्विक संबंधों के प्रति भारत के बहुमुखी दृष्टिकोण को अभिव्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “वैश्विक मित्र होने का मतलब न केवल सम्मान प्राप्त करना है, बल्कि उद्देश्य और संकल्प के साथ हमारे हितों को प्राथमिकता देना भी है।”
सत्र के बाद उन्होंने छात्रों और शिक्षकों से बातचीत की और उनके प्रश्नों के उत्तर भी दिए तथा भविष्य के लिए भारत के विकसित होते नज़रिये के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान की।