भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (स्पैडेक्स) मिशन के तहत रोलिंग प्रयोग पूरा कर लिया है। इसकी पुष्टि करते हुए इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि इसरो को विभिन्न परिस्थितियों में डॉकिंग करनी होगी, जिनमें से कुछ को वर्तमान मिशन के हिस्से के रूप में आजमाया जाएगा।
उपग्रह की चाल पर नियंत्रण की पुष्टि करने के लिए रोलिंग” या “रोटेटिंग” प्रयोग
“रोलिंग” या “रोटेटिंग” प्रयोग में उपग्रहों में से किसी एक की परिक्रमा करना शामिल है, ताकि उपग्रह की चाल पर नियंत्रण की पुष्टि की जा सके। यह प्रयोग इसरो को यह समझने में मदद करेगा कि डॉकिंग के लिए किसी वस्तु को विभिन्न दिशाओं से वांछित स्थान पर लाने के लिए क्या करना पड़ता है।
चंद्रयान-4 जैसे भविष्य के मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है यह प्रयोग
इसके अतिरिक्त यह इसरो को यह जानने में भी मदद करेगा कि डॉकिंग को लंबवत रूप से किया जा सकता है या नहीं। चंद्रयान-4 जैसे भविष्य के मिशनों के लिए महत्वपूर्ण यह प्रयोग मूल्यवान डेटा प्रदान करेगा और इसरो को कई सॉफ्टवेयर और ग्राउंड स्टेशन नियंत्रणों को मान्य करने में मदद करेगा।
यह उपलब्धि भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर
इससे पहले, 13 मार्च को इसरो ने स्पैडेक्स मिशन के तहत दो उपग्रहों की अनडॉकिंग पूरी की थी। यह उपलब्धि भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने आगे कहा कि इसरो स्पैडेक्स के हिस्से के रूप में और अधिक डॉकिंग करेगा।