भारतीय सेना ने 4.5 साल के बाद डेमचोक में गश्त फिर से शुरू कर दी है, तथा चीन के साथ तनाव कम करने के लिए सेना की वापसी के बाद देपसांग में भी गश्त जल्द ही शुरू हो जाएगी।
मामले से अवगत लोगों ने शुक्रवार को बताया, भारतीय सेना ने लगभग साढ़े चार साल के अंतराल के बाद पूर्वी लद्दाख के डेमचोक में अपनी गश्त गतिविधि फिर से शुरू कर दी है और वह जल्द ही देपसांग में गश्त शुरू करेगी, जिससे विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ दो अग्रिम क्षेत्रों में जमीनी स्थिति अप्रैल 2020 से पहले जैसी हो जाएगी, जब भारत-चीन सैन्य गतिरोध शुरू हुआ था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार देपसांग में गश्त एक या दो दिन में शुरू हो सकती है।
भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गतिरोध वाले दो स्थानों-डेमचोक और देपसांग में सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है और जल्द ही इन जगहों पर गश्त शुरू कर दी जाएगी। ज्ञात हो गुरुवार को दिवाली के मौके पर LAC पर कई सीमाओं पर दोनों पक्षों के बीच मिठाइयों का आदान-प्रदान हुआ।
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने के लिए हुए समझौते के अनुसार सत्यापन पूरा किया गया। इसमें मानव रहित हवाई वाहनों, निगरानी के अन्य हवाई साधनों और क्षेत्रों की उपग्रह छवियों का उपयोग शामिल है। भारत और चीन द्वारा देपसांग और डेमचोक में अपने गतिरोध को हल करने के लिए वार्ता में सफलता की घोषणा के दो दिन बाद 23 अक्टूबर को सैनिकों की वापसी शुरू हुई। दरअसल देपसांग और डेमचोक लद्दाख के अंतिम दो बिंदु हैं, जहां मई 2020 से भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) आमने-सामने थे।
सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया के तहत, भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने दोनों क्षेत्रों से अग्रिम तैनात अपने सैनिकों को वापस बुला लिया तथा सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद वहां बनाए गए अस्थायी ढांचों को भी हटा दिया।
बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और चीन “निरंतर प्रयासों” के चलते पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ कुछ क्षेत्रों में जमीनी स्थिति को बहाल करने के लिए आम सहमति पर पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा, “भारत और चीन एलएसी के साथ कुछ क्षेत्रों में अपने संघर्षों को हल करने के लिए कूटनीतिक और सैन्य वार्ता कर रहे थे। हमारे निरंतर प्रयासों के बाद हम आम सहमति पर पहुँच गए हैं।
उन्होंने तेजपुर में सैनिकों के साथ दिवाली मनाते हुए कहा कि आपके अनुशासन और साहस के कारण हमें यह सफलता मिली है। हम आम सहमति के आधार पर शांति बहाली की इस प्रक्रिया को जारी रखेंगे।
नवीनतम सैन्य वापसी समझौते में केवल देपसांग और डेमचोक को शामिल किया गया है, तथा दोनों देश अन्य क्षेत्रों पर विभिन्न स्तरों पर अपनी वार्ता जारी रखेंगे, जहां पहले सैन्य वापसी के बाद तथाकथित बफर जोन बनाए गए थे। देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी के परिणामस्वरूप बफर जोन का निर्माण नहीं हुआ है, जैसा कि पिछले दौर की सैन्य वापसी के बाद हुआ था।
भारत और चीन पहले ही गलवान घाटी, पांगोंग त्सो, गोगरा (पीपी-17ए) और हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) से पीछे हट चुके हैं, जहां क्षेत्र में दोनों सेनाओं की गश्त गतिविधियों को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करने के लिए बफर जोन बनाए गए थे, जिसका उद्देश्य हिंसक टकराव की संभावना को समाप्त करना था। उल्लेखनीय है, दोनों पक्षों द्वारा इन क्षेत्रों में गश्त पर रोक हटाना आगे की वार्ता के परिणाम पर निर्भर करेगा। टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों को हटाना सीमा पर तनाव कम करने की दिशा में पहला कदम है।