नीति आयोग ने हैंड और पावर टूल्स सेक्टर पर एक नई रिपोर्ट ‘भारत के हैंड और पावर टूल सेक्टर की निर्यात क्षमता : 25+ अरब डॉलर की संभावना’ जारी की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत आने वाले 10 वर्षों में टूल्स के निर्यात के जरिए 25 अरब डॉलर की कमाई और लगभग 35 लाख लोगों को रोजगार प्रदान कर सकता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस समय दुनियाभर में हैंड और पावर टूल्स का बाजार करीब 100 अरब डॉलर का है, जो 2035 तक 190 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। हालांकि भारत की हिस्सेदारी इस बाजार में बहुत कम है- हैंड टूल्स में 1.8 प्रतिशत और पावर टूल्स में 0.7 प्रतिशत, जबकि चीन इस क्षेत्र में 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रखता है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास इस बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की पूरी क्षमता है। इसके लिए तीन मुख्य कदम सुझाए गए हैं। पहला, देश में 3 से 4 विश्वस्तरीय टूल क्लस्टर बनाए जाएं, जिनमें आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, मजदूरों के लिए आवास और बेहतर कनेक्टिविटी जैसी सुविधाएं हों। दूसरा, नीति और बाजार सुधारों के तहत कच्चे माल पर आयात शुल्क में कमी, एक्सपोर्ट स्कीम्स को सरल बनाना और श्रम कानूनों में सुधार करना जरूरी है। तीसरा, अगर इन सुधारों में देरी होती है तो सरकार को लगभग 8,000 करोड़ रुपये की अस्थायी लागत सहायता देनी पड़ सकती है, जिसे निवेश माना जाना चाहिए क्योंकि यह भविष्य में कई गुना टैक्स राजस्व लौटा सकती है।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हैंड और पावर टूल्स सेक्टर भारत की विनिर्माण शक्ति को बढ़ाने और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह न केवल घरेलू उत्पादन को बढ़ाएगा बल्कि भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बनाने की दिशा में भी मदद करेगा। यह रिपोर्ट ‘विकसित भारत @2047’ के सपने को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही है।