भारत ने अंतरिक्ष में एक नया अध्याय शुरू करने की ओर कदम बढ़ाया है। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 40 वर्षों में पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनने जा रहे हैं। उन्हें इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम (HSP) के तहत Axiom Mission-4 (Ax-4) के लिए चयनित किया गया है। इस मिशन में वे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर यात्रा करेंगे और मिशन पायलट की भूमिका निभाएंगे। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष गए थे। यह मिशन न केवल भारत की तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन करता है बल्कि देश की अंतरराष्ट्रीय सहयोगों और अंतरिक्ष विज्ञान में नेतृत्व की दिशा में बढ़ती भागीदारी को भी दर्शाता है।
Ax-4 मिशन में अमेरिका की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन कमांडर होंगी और शुक्ला उनके साथ पायलट के रूप में कार्य करेंगे। 11 जून को स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से यह मिशन लॉन्च होगा। यह मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए 40 वर्षों में पहला सरकारी प्रायोजित मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिससे तीनों देशों के लिए अंतरिक्ष में एक नया अध्याय शुरू होगा। मिशन का वैज्ञानिक फोकस अंतरिक्ष में जीवन समर्थन प्रणाली और पोषण से जुड़े प्रयोगों पर होगा। शुभांशु माइक्रोएल्गी और साइनोबैक्टीरिया जैसे जैविक तत्वों पर रिसर्च करेंगे, जिनका उद्देश्य दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों के लिए आत्मनिर्भर जीवन समर्थन प्रणाली विकसित करना है।
इस मिशन में इसरो का एक खास प्रोजेक्ट “वॉयेजर टार्डिग्रेड्स” भी शामिल है, जिसमें स्पेस में भेजे गए टार्डिग्रेड्स (सूक्ष्मजीव) की पुनर्जीवन क्षमता, अंडे देने और जीन की अभिव्यक्ति पर अध्ययन किया जाएगा। यह अनुसंधान यह जानने में मदद करेगा कि जीवन कितनी विषम परिस्थितियों में जीवित रह सकता है। इसके अलावा, फसल बीज, मसल डेवलपमेंट, स्प्राउट्स, STEM शिक्षा और विजुअल डिस्प्ले जैसे प्रयोग भी शामिल होंगे। भारत की महत्वाकांक्षी गगनयान योजना को भी इस मिशन से बड़ी प्रेरणा मिलेगी। 20,193 करोड़ रुपये के बजट वाली इस योजना के तहत भारत 2027 की पहली तिमाही में अपनी पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान भेजेगा। इसके तहत चार वायुसेना टेस्ट पायलटों -ग्रुप कैप्टन पीबी नायर, अजीत कृष्णन, अंगद प्रताप और शुभांशु शुक्ला को चुना गया है। इन सभी ने रूस में बेसिक स्पेसफ्लाइट ट्रेनिंग पूरी कर ली है।
पिछले 10 वर्षों में भारत ने कुल 393 विदेशी और 3 स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च किए हैं, जिनमें अमेरिका (232), ब्रिटेन (83), सिंगापुर (19), कनाडा (8), कोरिया (5) और फ्रांस (3) जैसे देश शामिल हैं। 15 फरवरी 2017 को इसरो ने एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च कर विश्व रिकॉर्ड बनाया था।भारत का दीर्घकालिक विजन “Space Vision 2047” के अंतर्गत 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना और 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजना शामिल है। इस विजन के तहत क्रायोजेनिक इंजन, जीवन समर्थन प्रणाली, रोबोटिक्स जैसे तकनीकी क्षेत्र में विकास किया जा रहा है, जिससे एयरोस्पेस, स्वास्थ्य और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों को भी लाभ मिलेगा। भारत ने अंतरराष्ट्रीय सहयोगों में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। NASA के साथ NISAR मिशन, फ्रांस के CNES के साथ TRISHNA, जापान की JAXA के साथ चंद्र अभियान, और हाल ही में ESA (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) के साथ हुए समझौते से भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान को वैश्विक मंच पर मजबूती मिली है।
नीतिगत दृष्टि से भी केंद्र सरकार ने 2023 में नई स्पेस पॉलिसी लागू की है और 100% FDI की अनुमति दी है। इससे निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ी है और अब तक 328 से अधिक स्पेस स्टार्टअप्स उभर चुके हैं। स्पेस बजट भी पिछले 10 वर्षों में 5,615 करोड़ रुपए से बढ़कर 13,416 करोड़ रुपये हो गया है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु का मिशन केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि राष्ट्रीय उपलब्धि है, जो भारत की वैज्ञानिक, रणनीतिक और आर्थिक प्रगति को दर्शाता है। यह भारत के अंतरिक्ष युग की अगली छलांग है, जो विश्व को यह संदेश देती है कि भारत अब केवल अनुसरण करने वाला नहीं, बल्कि दिशा देने वाला राष्ट्र बन चुका है।-(PIB)