परिवार, किसी भी सामाजिक ढांचे की रीढ़ की तरह काम करता है। हालांकि मौजूदा दौर में परिवारों का विघटन, सामाजिक बिखराव के रूप में देखा जा सकता है। लेकिन पश्चिम हो या पूर्व, दुनिया के प्रत्येक देश में परिवार की मौजूदगी वहां के सामाजिक निर्माण में प्रमुख है। यही कारण है कि हर दौर में इसकी जरूरत हमेशा बनी रही है।आधुनिक समाज में यह आम धारणा है कि छोटा परिवार सुखी परिवार लेकिन हाल ही के दिनों में समय और परिस्थितियों ने इस धारणा को नकारते हुए संयुक्त परिवार खुशहाल परिवार का नारा बुलंद और सार्थक किया है। उदाहरण के तौर पर कोरोना काल ने तो परिवार की इस जरूरत को पुनर्परिभाषित कर दिया। आज का दिन परिवार की इस भूमिका को सेलिब्रेट करने के लिए विशेष है। दरअसल, हर साल 15 मई को ‘विश्व परिवार दिवस’ मनाया जाता है।
पहली बार कब मनाया गया विश्व परिवार दिवस ?
ज्ञात हो, पहली बार विश्व परिवार दिवस 1994 में मनाया गया था। हालांकि इस दिन की नींव 1989 में ही रख दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जीवन में परिवार के महत्व को बताने के उद्देश्य से 9 दिसंबर 1989 के 44/82 के प्रस्ताव में हर साल अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की घोषणा की थी। बाद में साल 1993 में यूएन जनरल असेंबली ने एक संकल्प में परिवार दिवस के लिए 15 मई की तारीख तय कर दी। इसके बाद से हर साल 15 मई को विश्व परिवार दिवस मनाया जाने लगा। इस दिवस को मनाने की वजह दुनियाभर के लोगों को परिवार से जोड़े रखना और परिवार से जुड़े मुद्दों पर समाज में जागरूकता फैलाना है।
1980 के दशक के दौरान, संयुक्त राष्ट्र ने परिवार से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया। 25 सितंबर 2015 को संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से सतत विकास के लक्ष्यों को अपनाया , जिसका लक्ष्य गरीबी, भेदभाव, दुर्व्यवहार व पर्यावरणीय विनाश को रोकना और सभी के लिए विकास के युग की शुरुआत करना है। इस बार विश्व परिवार दिवस की थीम यानी विश्व परिवार दिवस 2024 की थीम: परिवार और जलवायु परिवर्तन रखी गई है। ऐसे में 2024 अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस का उद्देश्य इस बारे में जागरूकता बढ़ाना है कि जलवायु परिवर्तन परिवारों को कैसे प्रभावित करता है और परिवार जलवायु कार्रवाई में क्या भूमिका निभा सकते हैं। परिवार और सामुदायिक पहल के माध्यम से, हम शिक्षा, सूचना तक पहुंच, प्रशिक्षण और सामुदायिक भागीदारी के साथ जलवायु कार्रवाई को बढ़ावा दे सकते हैं।
भारत में रिश्ते-परिवार को दिया जाता है बहुत ही सम्मान
उल्लेखनीय है कि सशक्त देश के निर्माण में परिवार एक अभूतपूर्व संस्था है, जो व्यक्ति के विकास के साथ समाज के विकास में योगदान देता है। भारत जैसे देश में रिश्ते-परिवार को बहुत ही सम्मान दिया जाता है। ऐसे में लोग अपने परिवार के साथ हर साल 15 मई को परिवार दिवस मनाते हैं। परिवार की उपयोगिता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को विश्व स्तर पर मनाने का फैसला लिया था।
‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की सीख देने की प्राथमिक पाठशाला है संयुक्त परिवार
भारत में संयुक्त परिवारों में वृद्धजनों को पूरा सम्मान, सुरक्षा तथा देखभाल मिलती है। हमारे देश में भी संयुक्त परिवारों की श्रेष्ठ परम्परा रही है। केवल इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का नाम विश्व में गौरवान्वित करते हुए वर्ल्ड लीडर की तरह अपना संदेश दुनिया को देने का सफल प्रयास किया। उन्होंने कहा, भारत ने हमेशा ही विश्व को बुद्ध दिए हैं, युद्ध नहीं। भारत हमेशा से विश्व शांति और एकता का प्रचारक रहा है। भारत जन-कल्याण से जग-कल्याण में विश्वास करता है। इसी के साथ पीएम मोदी यह कह चुके हैं- ‘हमारा एक ही मूल मंत्र है- वसुधैव कुटुंबकम, जहां वैश्विक कल्याण का लक्ष्य लेकर हम दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचना चाहते हैं।’
विश्व परिवार दिवस का मूल उद्देश्य परिवारों के विघटन को रोकना
आज के समय में परिवारों का विघटन दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य जीवन में लोगों को संयुक्त परिवार की अहमियत बताना है। संयुक्त परिवार से जीवन में होने वाली उन्नति के साथ, एकल परिवारों और अकेलेपन के नुकसान के प्रति युवाओं को जागरूक करना भी विश्व परिवार दिवस का मूल उद्देश्य है, जिससे युवा अपनी बुरी आदतों (शराब, धूम्रपान, जुआ, गंदा नशा आदि) को छोड़कर एक सफल जीवन की शुरुआत संयुक्त परिवार में रह कर सकें।