प्रतिक्रिया | Sunday, July 06, 2025

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इसरो रचेगा कीर्तिमान, 3 मीटर की दूरी पर लाए गए ‘स्पैडेक्स’ के दोनों अंतरिक्ष यान

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का महत्वपूर्ण ‘स्पैडेक्स मिशन’ सफलता हासिल करने के काफी करीब पहुंच गया है। इसरो के मुताबिक, दोनों अंतरिक्ष यान ठीक तरीके से काम कर रहे हैं। इसरो ने रविवार को एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर ‘स्पैडेक्स मिशन’ के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्पैडेक्स डॉकिंग मिशन के तहत दोनों यान के 15 मीटर और आगे 3 मीटर तक के पास पहुंचने का परीक्षण प्रयास किया गया है। अंतरिक्ष यानों को सुरक्षित दूरी पर वापस ले जाया जा रहा है, डेटा का आगे विश्लेषण करने के बाद डॉकिंग प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

 स्पैडेक्स उपग्रह 15 मीटर की ऊंचाई पर एक-दूसरे की शानदार तस्वीरें और वीडियो ले रहे हैं

इसरो ने एक अन्य पोस्ट में बताया कि स्पैडेक्स उपग्रह 15 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होकर एक-दूसरे की शानदार तस्वीरें और वीडियो ले रहे हैं। नए साल की शुरुआत से पहले इसरो ने देशवासियों को खुशखबरी दी थी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में स्पैडेक्स मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।

स्पैडेक्स उपग्रहों का सफल पृथक्करण भारत की अंतरिक्ष यात्रा में मील का पत्थर 

स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पैडेक्स) मिशन के तहत दो उपग्रहों को 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया। रॉकेट ने दोनों उपग्रहों को कुछ दूरी पर एक ही कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया। इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, “स्पैडेक्स तैनात! स्पैडेक्स उपग्रहों का सफल पृथक्करण भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक और मील का पत्थर है।”

इससे पहले रॉकेट की लॉन्चिंग पर उसने लिखा था, “लिफ्टऑफ! पीएसएलवी-सी60 ने स्पैडेक्स और 24 पेलोड को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।” अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत अब डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बनेगा।

अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने से भारत दुनिया के विशिष्ट क्लब में हो सकता है शामिल

अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने से भारत न केवल अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल हो सकता है, बल्कि यह भारत के आगामी अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिसमें चंद्रमा मिशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और पृथ्वी से जीएनएसएस के समर्थन के बिना चंद्रयान-4 जैसे चंद्र मिशन शामिल हैं।(इनपुट-आईएएनएस)

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आखरी अपडेट: 6th Jul 2025