भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर गुरुवार को नई दिल्ली पहुंचने पर भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक का विदेश मंत्री (ईएएम) डॉ. एस. जयशंकर ने गर्मजोशी से स्वागत किया। इस दौरान उनके साथ रानी जेटसन पेमा वांगचुक और भूटान की शाही सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
इस यात्रा से दोस्ती के अनूठे बंधन होंगे और मजबूत
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने एक्स पर लिखा, “आज नई दिल्ली पहुंचने पर भूटान के महामहिम नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक का स्वागत करते हुए मुझे सम्मानित महसूस हो रहा है।” उन्होंने आगे लिखा, “उनकी यात्रा से हमारी दोस्ती के अनूठे बंधन और मजबूत होंगे।”
भारतीय नेतृत्व के साथ करेंगे कई द्विपक्षीय बैठकें
अपनी यात्रा के दौरान, भूटान नरेश राजनयिक संबंधों की समीक्षा के लिए भारतीय नेतृत्व के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें करेंगे।
विदेश मंत्रालय (एमईए) की ओर से जारी आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि शुक्रवार को समाप्त होने वाली उच्च स्तरीय यात्रा दोनों पड़ोसी देशों के बीच गहरे संबंधों और आपसी सम्मान को दर्शाती है।
पीएम मोदी से भी मिलेंगे भूटान नरेश
भूटान नरेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे, जो दोनों देशों के बीच चल रहे उच्च स्तरीय संबंधों में एक और अध्याय जोड़ेगा। इसके अलावा विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भूटान नरेश से मिलने वाले हैं। इन बैठकों का उद्देश्य मौजूदा सहयोग को मजबूत करना और द्विपक्षीय सहयोग के लिए नए रास्ते तलाशना है।
भारत और भूटान के बीच संबंध
उल्लेखनीय है कि भारत और भूटान के बीच असाधारण और अनुकरणीय संबंध हैं, जो आपसी विश्वास, सद्भावना और समझ पर आधारित हैं। इन संबंधों की नींव 1949 में पड़ी, जब दोनों देशों ने मैत्री और सहयोग की संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसे फरवरी 2007 में विकसित गतिशीलता को दर्शाने के लिए रिन्यू किया गया। 1968 में औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित किए गए, जिसने इस स्थायी साझेदारी को और मजबूत किया।
दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की विशेषता
दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की एक उल्लेखनीय विशेषता उनकी आर्थिक निर्भरता है। लगभग 50,000 भारतीय नागरिक भूटान में निर्माण, शिक्षा और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं। कुछ श्रमिक तो रोजाना भारत से भूटान के सीमावर्ती शहरों में अपनी नौकरी के लिए आते-जाते हैं।
यह एकीकरण दोनों देशों के बीच सहयोग की गहराई और साझा समृद्धि को दर्शाता है। हाल के वर्षों में सहयोग का दायरा काफी बढ़ गया है, जो जलविद्युत जैसे पारंपरिक क्षेत्रों से आगे बढ़कर डिजिटल बुनियादी ढांचे, शिक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे उभरते क्षेत्रों को शामिल करता है।
दोनों देशों के बीच सहयोग के नए आयाम तलाशने में मिलेगी मदद
भूटान भीम ऐप को अपनाने वाला दूसरा देश बन गया, जिससे वित्तीय संबंध आसान हो गए और भारत ने भूटान की ‘डिजिटल ड्रुक्युल’ पहल का समर्थन किया, जिसका उद्देश्य सभी 20 जिलों में एक मजबूत ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बनाना है।
स्पेस को-ऑपरेशन सहयोग का एक और आशाजनक क्षेत्र है। प्रधानमंत्री मोदी की 2019 की भूटान यात्रा के बाद, संयुक्त रूप से विकसित ‘भारत-भूटान SAT’ नवंबर 2022 में लॉन्च किया गया। यह पहल, अन्य तकनीकी साझेदारियों के साथ, द्विपक्षीय संबंधों की प्रगतिशील प्रकृति को रेखांकित करती है।
शिक्षा के क्षेत्र में, भारत STEM शिक्षकों की कमी को दूर करने और देश की मानव संसाधन क्षमताओं को बढ़ाने में भूटान का समर्थन करना जारी रखे हुए है। भूटान नरेश की यात्रा इन पहलों की समीक्षा करने और उन्हें आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है, जिससे दीर्घकालिक मैत्री को और मजबूती मिलेगी तथा भारत और भूटान के बीच सहयोग के नए आयाम तलाशने में मदद मिलेगी। (इनपुट-आईएएनएस)