प्रतिक्रिया | Wednesday, January 22, 2025

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महाकुंभ: संस्कृति से साक्षात्कार, पुरुषार्थ का चमत्कार 

संगम की रेत पर भक्ति और ज्ञान के समागम का सबसे बड़ा संयोग आ गया है। गंगा, यमुना और सरस्वती के तट पर सांसारिक मायाजाल से तटस्थ विभूतियों का आगमन शुरू हो गया है। मुहूर्त अलौकिक है, आयोजन अलौकिक है और इस महान अलौकिकता के पीछे आध्यात्मिक और ज्योतिषीय परंपरा महाकुंभ के आगमन का उद्घोष कर रही है। 9 ग्रहों, 27 नक्षत्रों और 12 राशियों की श्रृंखला अमृत पर्व का उद्घोष कर रही है। 

“मकरे च दिवानाथे वृष राशि गते गुरौ। प्रयागे कुम्भयोगौ वै माघमासे विधुक्षये”। अर्थात दिवाकर भगवान भास्कर जब मकर राशि में और गुरु वृष राशि में विद्यमान होते हैं तब माघ मास में कुंभ आयोजन का संयोग बनता है। सनातन काल से चला आ रहा यह संयोग देश के 4 तीर्थों में हर 3 साल के अंतराल में कुंभ का साक्षात्कार करता है। हालांकि, बदलते समय के अनुसार इसका स्वरूप बदल रहा है, अमृत पर्व आधुनिकता की चमक से भी सुसज्जित हो रहा है। बदलाव की इस यात्रा का वाहक बन रहा है युवा वर्ग जो कुंभ के कायाकल्प का ध्वजवाहक बन चुका है। 

  इक्कीसवीं सदी के भारत में सब कुछ बदल गया है। जैसे हमारे देश का तेवर बदला है, कलेवर बदला है वैसे ही महाकुंभ के स्वरूप में भी जबरदस्त परिवर्तन हुए हैं। साल 2001 के प्रयागराज कुंभ से लेकर 2025 महाकुंभ की यात्रा में पीढ़ियों का परिवर्तन आ चुका है। देश हाईटेक हुआ तो अखाड़े भी हाईटेक हुए और संन्यास परंपरा के नए वाहक भी ऑनलाइन धर्म प्रचार के माध्यम से जुड़ चुके हैं। या यूं कहें कि परंपरा और आधुनिकता के संगम का सबसे बड़ा प्रतिबिंब बन गया है महाकुंभ। यह वो महाकुंभ है जो देश की युवा पीढ़ी को कई तरहों से अपनी ओर आकर्षित करने वाला साबित होगा। इससे हमारा देश भी मजबूत होगा और सनातन धर्म भी।

2025 में प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ हर मायने में पहले से अलग, अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय होगा। इस बार के महाकुंभ में सनातन संस्कृति की प्राचीनता और आधुनिकता का संगम भी दिखेगा। वैसे भी प्रयागराज से इलाहाबाद और फिर इलाहाबाद से प्रयागराज बनने के लंबे कालखंड में बहुत कुछ बदला है। लेकिन बदलाव की इस प्रक्रिया में आधुनिक काल के प्रयागराज का ये पहला महाकुंभ होगा। इसीलिए धरती से आसमान और नदियों से नगर तक सब कुछ नायाब दिख रहा है। प्राचीन प्रयागराज और उसके नये स्वरूप के निर्माण में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा गया है। सड़कों के चौड़ीकरण से लेकर नए फ्लाईओवर और साज सज्जा तक सब सौ फीसदी परफेक्ट दिखाने की सोच। 

45 दिनों तक चलने वाला 2025 का प्रयागराज का महाकुंभ कई मायनों में खास है। सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व इस बार तकनीकी और आधुनिकता के दृष्टिकोण से भी नए प्रतिमान स्थापित करने जा रहा है। प्रयागराज महाकुंभ 2025 वो पहला कुंभ होगा जहां लोगों के भटक कर खो जाने की परंपरा रवाना होने जा रही है। कारण यह है कि यहां पहली बार नेविगेशन के लिए अस्थायी टेंट सिटी गूगल मैप्स पर दिखाई देगी तो एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीक महाकुंभ को हाइटेक की नई ऊंचाई देगी। वहीं संगम तट पर ग्रीन, स्वच्छ और प्लास्टिक मुक्त महाकुंभ के लिए हैंडीक्राफ्ट के तहत बनाए जा रहे दोना-पत्तल, कुल्हड़ और जूट बैग को बढ़ावा आधुनिकता के साथ पर्यावरण के प्रति जागरूकता वाले अर्थतंत्र का संदेश देगी।  

(अगर बात युवाओं की करें तो वो किसी भी देश का भविष्य हैं और ये हमारी जिम्मेदारी है कि वो वर्तमान के साथ-साथ अपने गौरवशाली अतीत को अच्छी तरह जाने और समझे और सही मायने में इस बार का महाकुंभ इन युवाओं को सनातन संस्कृति की समृद्ध विरासत, धार्मिकता और आध्यात्मिकता से जुड़ने का मौका दे रहा है और प्रयागराज पंचकोसी परिक्रमा के पीछे मुख्य मकसद इन युवाओं को ज्यादा से ज्यादा जोड़ना है। 

दरअसल युवा हमेशा से किसी भी बड़े आयोजन के अंगरक्षक और जागरूक करने वालों की भूमिका में रहते आए हैं। ऐसे में प्रयागराज महाकुंभ में भी इन युवाओं की धमक हर जगह दिखेगी। चाहे वो महाकुंभ के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए चंद्रशेखर आजाद पार्क में कैनवास पर चित्र बनाना हो या फिर पेंट माई सिटी अभियान के तहत कॉलेज स्टूडेंट्स का पूरे प्रयागराज को सजाना हो, युवाओं ने पहले से ही मोर्चा ले रखा है। यहीं नहीं सामुदायिक पुलिसिंग के लिए मेला पुलिस बड़े पैमाने पर युवा शक्ति का सहयोग लेगी, जिससे यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों की आवाजाही समेत भीड़ प्रबंधन को सुव्यवस्थित किया जा सके। 

और तो और महाकुंभ मेले की व्यवस्था के लिए 22 से 27 साल की उम्र के 55 फेलो स्टूडेंट्स का भी चयन किया गया है। जो मेले के दौरान प्रबंधन, स्ट्रक्चर, डिजाइनिंग, डेटा कलेक्शन, मोटिवेशन और मैपिंग का काम करेंगे। इन्हें बाकायदा छह महीने का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है और इस दौरान सभी पेड होंगे और चयन से पहले उन्हें एक परीक्षा से भी गुजरना पड़ा है अर्थात यहां ट्रांसपेरेंसी का खास ध्यान रखा गया है। )

इसके अलावा नवंबर 2022 में उत्तर प्रदेश की नई पर्यटन नीति के तहत इस बार महाकुंभ में 45 हजार युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए प्रशिक्षण जारी है और नाविकों, टूर गाइड, स्ट्रीट वेंडर्स और जैसे सर्विस प्रोवाइडर को कौशल विकास और मैनेजमेंट की ट्रेनिंग दी जा रही है। प्रयागराज के पर्यटन विभाग की मानें तो 2000 नाविकों, 1000 टूर गाइड को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जबकि 600 स्ट्रीट वेंडर्स और 600 टैक्सी ड्राइवर को भी प्रशिक्षण दे रही है। हालांकि बताया जा रहा है कि ज्यादातर की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। यानि कि यह महाकुंभ केवल विरक्तों का नहीं, केवल जीवन के चौथेपन में चल रहे मोक्षार्थियों का ही नहीं बल्कि अपने जीवन में संभावनाओं को तलाश रहे युवाओं के लिए भी अवसर बनकर आया है।  

प्रयागराज महाकुंभ के दौरान संगम पर इस बार बसने वाले टेंट सिटी का विस्तार इतना विस्तृत हो गया है कि 4 महीने के लिए महाकुंभ क्षेत्र को शासन की ओर से उत्तर प्रदेश का 76वां जिला घोषित कर दिया गया है। जिससे महाकुंभ मेले का आयोजन प्रशासनिक स्तर पर सुनियोजित और सही तरीके से हो सके। इसे ‘डिजिटल कुंभ’ भी कहा जा रहा है जिसमें तकनीक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा। महाकुंभ के आयोजन का प्रचार-प्रसार उत्तर प्रदेश और देश ही नहीं थाईलैंड, इंडोनेशिया, मॉरिशस जैसे देशों में भी किया जा रहा है। 

वैसे किसी भी अर्धकुंभ या महाकुंभ पर नागा साधु और तमाम अखाड़ों का शाही स्नान सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र होता है और हां, महाकुंभ में सनातन परंपरा के विभिन्न मार्ग चाहे वो वैष्णव हो शैव हो या शाक्त सबका जैसे एकीकरण हो जाता है। यही कारण है कि इसे अमृत पर्व की संज्ञा भी मिली हुई है। 13 अखाड़ों के इर्द-गिर्द घूमती इसी आध्यात्मिक परंपरा का प्रसार ही सनातन धर्म के संरक्षण और पल्लवन का आधार बना। आह्वान अखाड़े शुरू हुई यह यात्रा कालांतर में भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में 13 अखाड़ों तक पहुंच गई। शंकराचार्य की बनाई शस्त्र और शास्त्र के योद्धाओं की यह श्रृंखला सनातन धर्म के सबसे विहंगम स्वरूप का प्रतिबिंब बन गई है। प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक लग रहा महाकुंभ उत्तर प्रदेश में आज आर्थिकता, आध्यात्मिकता और आधुनिकता का संगम बनकर अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की नई परिभाषा गढ़ रहा है। 

जैसा कि योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के साथ साथ जब गोरखनाथ मठ के महंथ भी है तो फिर धार्मिक आयोजन, वो भी प्रयागराज महाकुंभ हो तो फिर उसमें भव्यता और दिव्यता के साथ समझौते का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। अनुमान है कि महाकुंभ का बजट 6,300 करोड़ रुपये से ज्यादा का है। बात केवल बजट की नहीं है, महत्वपूर्ण यह है कि प्रयाग को आधुनिकता के साथ ही साथ उसके पौराणिक स्वरूप को भी जीवंत और सुसज्जित किया जा रहा है।  

तेजी से बदलती दुनिया में प्रयागराज में वर्ष 2025 का महाकुंभ दुनिया में अब तक का धार्मिक ‘महा जमावड़ा’ होगा। जहां तक बात शाही स्नान की है तो यहां लोगों के एक जगह जमा होने के भी ऐसे रिकॉर्ड बनेंगे जिस भविष्य में अगला महाकुंभ ही तोड़ पाएगा। एक अनुमान के मुताबिक प्रयागराज महाकुंभ में 40 करोड़ से ज्यादा लोगों के आने की संभावना है। जो अमेरिका, कनाडा ऑस्ट्रेलिया जैसे करीब 41 छोटे बड़े देशों की आबादी से ज्यादा होगा और ये जमावड़ा दुनिया में विश्व रिकॉर्ड बनाएगा। 

माना जा रहा है कि इस दौरान मौनी अमावस्या पर तीन दिनों में लगभग 6.5 करोड़ लोगों के प्रयागराज में मौजूद रहने का अनुमान है और जब महाकुंभ जैसा धार्मिक आयोजन होगा तो आध्यात्मिकता आसमान की ऊंचाइयों को तो छूएगी ही। धर्म के चरमोत्कर्ष बिंदु के साथ ही उत्तर प्रदेश की आर्थिकी भी नया अध्याय लिखने को तैयार है। एक अनुमान के मुताबिक महाकुंभ के आयोजन से केवल प्रयागराज या उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में लोगों को कई तरह के रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं। मान लीजिए कि महाकुंभ में 40 करोड़ से ज्यादा लोग शामिल होते हैं जिसमें करीब 60 करोड़ दोना-पत्तल की जरूरत पड़ेगी। एक रिपोर्ट के अनुसार, महाकुंभ के दौरान पर्यावरण से जुड़ी इन चीजों के लिए उत्तर प्रदेश के 28 जिलों की महिलाओं के साथ- साथ बिहार, मप्र, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड की महिलाओं को भी जिम्मेदारी दी गई है। बताया जा रहा है कि 14 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों की लगभग सवा लाख महिलाएं इस काम में लगी हुई हैं।       

महाकुंभ क्षेत्र का विस्तार अब पहले के 3200 हेक्टेयर से बढ़कर 4000 हेक्टेयर हो गया है और इसे 25 सेक्टर में बांटा गया है। जबकि इस बार टेंट सिटी का निर्माण जमीन से 18 फीट ऊपर किया जा रहा है जिससे यहां आने वाले लोगों को इसका विशाल और विहंगम दृश्य दिखाई दे सके। 20 लाख से ज्यादा निजी वाहनों के लिए 120 पार्किंग स्थल बनाए जा रहे हैं। साथ ही लोगों को ज्यादा पैदल न चलना पड़े इसके लिए कई तरह के छोटे- छोटे वाहनों का भी इंतजाम किया गया है। महाकुंभ के लिए 1000 से ज्यादा ट्रेन, 7000 से ज्यादा बस चलाए जाएंगे। वहीं 250 से ज्यादा फ्लाइट्स जिसमें लोग आठ नये शहरों कोलकाता, गुवाहाटी, दिल्ली, जयपुर, जबलपुर, भुवनेश्वर, चंडीगढ़ और देहरादून से उडा़न के लिए फ्लाइट बुक करा सकेंगे। ये 10 जनवरी से 26 फरवरी तक होगा।  

प्रयागराज पहले ही साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, अध्यात्म, आधुनिकता और प्रशासनिक तौर तरीकों का प्रतिनिधित्व करती आई है। इस नगर में तमाम कवि, साहित्यकार, नेता, अफसर, साधु संत दिए हैं और ये नगर काफी समृद्ध विरासत लिए हुए है। लेकिन महाकुंभ के मद्देनजर प्रयागराज को जिस तरह दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है वो अविस्मरणीय है। प्रयागराज में नई सड़कें, नए फ्लाइओवरस, पार्कों का नवीनीकरण अब इसके प्राण हैं और वो कई तरह की प्रेरणा दे रहे हैं। 

इस बार प्रयागराज का महाकुंभ ऐसे समय हो रहा है जब उत्तर प्रदेश में वाकई बदलाव की बयार बह रही है। धार्मिकता से लेकर आध्यात्मिकता और आधुनिकता का संगम तीर्थराज प्रयाग के संगम की अनुभूति कर रहा है। तो प्रयागराज की ही तरह उसके पास ट्वीन्स स्पिरिचुअल सिटी अयोध्या और काशी में आध्यात्मिकता की पताका फहरा रही है। अयोध्या में 500 वर्षों के बाद राम मंदिर में रामलला विराजमान हुए हैं और मर्यादा पुरुषोत्तम का आगमन भर सचमुच उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बना रहा है। अयोध्या पहले वाली दिव्यता, भव्यता और नव्यता में नहाई हुई है जहां भगवान राम ने राशन रोजगार का नया रास्ता खोला है और प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ भी इस भव्यता और नव्यता में अपनी भी भूमिका देख रहा है। 

प्रयागराज का महाकुंभ इस बार काशी के कायापलट का भी गवाह बनने जा रहा है। जिस बाबा विश्वनाथ को दशाश्वमेध की गली-कूची में जैसे कैद कर रखा था वो काशी विश्वनाथ अब अपने विशाल कॉरिडोर में भक्तों को अपना आशीर्वाद दे रहे हैं उन्हें भाव विह्वल कर रहे तो मां गंगा फिर से हर पल अपने आराध्य भगवान भोले का दर्शन कर खुद को धन्य कर रही हैं। यानी अयोध्या से काशी तक जिस तरह भगवान भोलेनाथ और भगवान श्रीराम एक दूसरे को आराध्य मानकर पूजते आए हैं। उसी तरह प्रयागराज में लग रहे महाकुंभ के दौरान काशी और अयोध्या में बेशक आस्था का समंदर उमड़ेगा परिवर्तन संसार का स्थायी नियम है। इस परिवर्तन में काल और क्रम के अनुसार जब व्यवस्था बनती है तब होता है असल में विस्तार। विस्तार हमारी परंपरा का, विस्तार हमारी विरासत का और विस्तार हमारे महाकुंभ का जिसके दर्शन के लिए दुनिया व्याकुल रहती है और इसमें शामिल होकर स्वयं को सौभाग्यशाली समझती है।

प्रयागराज महाकुंभ को लेकर मामूली सी कमी की कोई गुंजाइश न रहे इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस पर नजर रख रहे हैं। प्रयागराज दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने यहां भी प्रमुख मंदिरों के कॉरिडोर को हरी झंडी दिखाई। जिसमें भारद्वाज आश्रम कॉरिडोर, श्रृंगवेरपुर धाम कॉरिडोर, अक्षयवट कॉरिडोर, हनुमान मंदिर कॉरिडोर शामिल है। इससे तीर्थयात्रियों को सुविधा और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इस दौरान कुंभ सहायक चैटबॉट की लॉन्चिंग काफी अहम है। इसके जरिए सरकारी टूर पैकेज, होम स्टे, होटलों और अन्य मान्यता प्राप्त यात्रा सुविधाओं की जानकारी मिलेगी। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने 6670 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शुभारंभ करने के साथ ही प्रयागराज के बुनियादी ढांचे को और मजबूत बनाने और कनेक्टिविटी को रफ्तार देने के लिए 10 नए रोड ओवर ब्रिज या फ्लाईओवर, स्थायी घाट और रिवरफ्रंट सड़कें जैसी परियोजनाओं की सौगात दी। महाकुंभ के दौरान ‘कल्पवास’ की महिमा और बढ़ जाती है। ये गहन आध्यात्मिक अभ्यास की अवधि का प्रतीक है। इस दौरान तीर्थयात्री सादगी का जीवन जीते हुए खुद को ध्यान, पूजा, प्रार्थना, धार्मिक अध्ययन में व्यस्त रखते हैं। कल्पवास गहरी भक्ति और आध्यात्मिक परिवर्तन को बढ़ावा देता है।

-राजकिशोर बुलंद भारत टीवी के चीफ एडिटर हैं। थिंक टैंक जीपीआई (ग्लोबल पॉलिसी इनसाइट्स) में भी वे एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं।

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आखरी अपडेट: 22nd Jan 2025