भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने बीते 11 वर्षों में असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों के लिए कई महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक 50 लाख से अधिक श्रमिकों और उनके परिवारों को मिल चुका है। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ लेबर वेलफेयर (DGLW) के तहत संचालित ये योजनाएं खासकर बीड़ी, सिनेमा और खनन क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों पर केंद्रित हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य दूरदराज और पिछड़े इलाकों में रहने वाले श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, बच्चों की शिक्षा में वित्तीय मदद और आवास सहायता प्रदान करना है।
इन योजनाओं को पूरे देश में 18 वेलफेयर कमिश्नरों की निगरानी में लेबर वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन (LWO) के माध्यम से लागू किया जाता है। इनमें से एक प्रमुख योजना ‘शिक्षा सहायता योजना’ है, जिसके अंतर्गत बीड़ी, सिनेमा और गैर-कोयला खदानों में कार्यरत श्रमिकों के बच्चों को हर वर्ष 1,000 से 25,000 रुपये तक की छात्रवृत्ति दी जाती है। यह योजना नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल (NSP) के जरिए संचालित होती है, जिसमें हर साल एक लाख से अधिक आवेदन आते हैं और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए राशि सीधे छात्रों के खातों में भेजी जाती है।
स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत देशभर में मौजूद डिस्पेंसरीज के जरिए ओपीडी सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा, गंभीर बीमारियों जैसे दिल की बीमारी, किडनी ट्रांसप्लांट, कैंसर, टीबी और छोटे ऑपरेशनों के लिए भी विशेष उपचार सहायता दी जाती है। इसमें 30,000 रुपये तक की राशि छोटे ऑपरेशनों के लिए और 7.5 लाख रुपये तक की सहायता कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के इलाज के लिए दी जाती है, जिससे गरीब श्रमिकों को जीवनरक्षक इलाज मिल सके।
वहीं आवास के क्षेत्र में, 2016 में शुरू की गई रिवाइज्ड इंटीग्रेटेड हाउसिंग स्कीम (RIHS) को अब प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) में समाहित कर दिया गया है। हालांकि, सरकार ने अपने वादे के अनुसार 31 मार्च 2024 तक पात्र लाभार्थियों को लंबित किस्तों का भुगतान जारी रखा, ताकि “हर किसी को गरिमामय आवास” की प्रतिबद्धता पूरी की जा सके। ये सभी योजनाएं न केवल असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाती हैं, बल्कि “सबका साथ, सबका विकास” की सरकार की सोच को जमीनी स्तर पर लागू करती हैं। श्रम मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि भविष्य में इन योजनाओं को और अधिक सुलभ, तकनीक-सक्षम और परिणामोन्मुखी बनाने के प्रयास किए जाएंगे, ताकि अधिक से अधिक श्रमिकों तक इनका लाभ पहुंच सके।-(PIB)