प्रतिक्रिया | Thursday, March 13, 2025

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02/01/25 | 11:36 am

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‘भोपाल गैस त्रासदी’ के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से उठाया गया 337 टन जहरीला कचरा

दो-तीन दिसंबर 1984 की रात हुई दुनिया की सबसे भीषणतम औद्योगिक त्रासदी “भोपाल गैस कांड” के बाद से यूनियन कार्बाइड कारखाने में पिछले 40 वर्षों से डम्प पड़े जहरीले रासायनिक कचरे की आखिरकार शिफ्टिंग शुरू हुई। जी हां, इस खतरनाक कचरे को कल रात उसके निपटान के लिए ले जाया गया।
 
जहरीले कचरे को 12 सीलबंद कंटेनर ट्रकों में रखकर पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र भेजा गया

जहरीले कचरे को 12 सीलबंद कंटेनर ट्रकों में रखकर भोपाल से करीब 250 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ले जाया जा रहा है। कचरे को लेकर 12 कंटेनर ट्रक रात करीब 9 बजे बिना रुके यात्रा पर निकल पड़े। भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि खतरनाक कचरे को ले जाने वाले वाहनों के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है। 

रासायनिक और अन्य अपशिष्ट के निष्पादन के लिए पीथमपुर में एकमात्र प्लांट 

मध्य प्रदेश में औद्योगिक इकाइयों में निकलने वाले रासायनिक और अन्य अपशिष्ट के निष्पादन के लिए धार जिले के पीथमपुर में एकमात्र प्लांट है। यहां पर कचरे को जलाने काम किया जाता है। यह प्लांट सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के दिशा-निर्देशानुसार संचालित है। पीथमपुर स्थित इंसीरेनेटर में 13 अगस्त 2015 को भी यूनियन कार्बाइड से 10 मीट्रिक टन जहरीला कचरा निष्पादन के लिए भेजा गया था। तब ट्रायल रन के तौर पर तीन दिन इसे जलाया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रायल रन के दौरान इंसीरेनेटर में हर घंटे 90 किलो कचरा जलाया गया था। इसी ट्रायल रन रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट ने अब राज्य सरकार को यूनियन कार्बाइड कारखाने में रखे 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे का निपटान पीथमपुर में करने के निर्देश दिए हैं।

100 लोगों ने 30 मिनट की शिफ्ट में काम करके कचरे को पैक किया

रविवार से करीब 100 लोगों ने 30 मिनट की शिफ्ट में काम करके कचरे को पैक करके ट्रकों में लोड किया। उन्होंने यह भी बताया कि शुरुआत में कुछ कचरे को पीथमपुर स्थित कचरा निपटान इकाई में जलाया जाएगा और अवशेष (राख) की जांच की जाएगी कि कहीं कोई हानिकारक तत्व तो नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि भस्मक से निकलने वाला धुआं विशेष चार-परत फिल्टर से होकर गुजरेगा, ताकि आसपास की हवा प्रदूषित न हो।

दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदाओं में से एक ‘भोपाल गैस त्रासदी’ 

याद हो, 2-3 दिसंबर, 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड कीटनाशक कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस लीक हुई थी, जिसमें कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग गंभीर और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।

बताना चाहेंगे मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 3 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद भोपाल में यूनियन कार्बाइड साइट को खाली न करने के लिए अधिकारियों को फटकार लगाई और कचरे को स्थानांतरित करने के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय की। (इनपुट-हिंदुस्थान समाचार)

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आखरी अपडेट: 13th Mar 2025