वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर चर्चा के लिए लखनऊ में आज मंगलवार को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों ने विधेयक पर अपनी चिंताएं जताते हुए समिति को 20 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा।ज्ञापन में मुस्लिम पक्षकारों ने वक्फ बोर्ड की शक्तियों को कम करने, जिलाधिकारियों (डीएम) के अधिकार बढ़ाने, वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने और चुनाव प्रक्रिया समाप्त कर सदस्यों को नामित करने जैसे प्रावधानों का विरोध किया। उनका कहना है कि ये बदलाव वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए नुकसानदायक साबित होंगे।
जेपीसी के सदस्य और राज्यसभा सांसद बृजलाल ने बैठक के दौरान बताया कि समिति अपने दौरे के अंतिम चरण में है और यह लखनऊ में उनकी आखिरी बैठक है। उन्होंने कहा कि विधेयक पर सभी हितधारकों से सुझाव लिए जा रहे हैं जिन्हें समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को सौंपा जाएगा।
बैठक में मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि वक्फ संपत्तियां धार्मिक और पवित्र हैं, जिनका सीधा संबंध खुदा से है। उन्होंने वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कम करने और जिलाधिकारियों के अधिकार बढ़ाने का विरोध किया। अन्य मौलाना, जैसे मौलाना मुश्ताक और मौलाना नजीबुर्रहमान ने भी वक्फ एक्ट की धारा ‘वक्फ बिल इस्तेमाल’ को समाप्त करने का कड़ा विरोध किया। उनका कहना है कि अगर यह धारा हटाई गई तो मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों पर कब्जे की आशंका बढ़ जाएगी।
बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कार्य विभाग, विधि एवं न्याय विभाग और अल्पसंख्यक आयोग के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। सभी पक्षों के विचार और सुझाव जेपीसी द्वारा आगे की कार्रवाई के लिए संकलित किए जाएंगे।