देश के महानगरों में सड़कों पर सरपट दौड़ने वाली गाड़ियों के हॉर्न आज के समय में ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख कारकों में से एक हैं। वैसे गाड़ियों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए कई नियम बनाए गए हैं, अब उन्हीं कानूनों के पालन और जागरूरता के लिए देश की आर्थिक राजधानी 16 अगस्त को नो हॉर्न डे के रूप में मना रही हैं।
अनावश्यक हॉर्न बजाने से बढ़ते ध्वनि प्रदूषण से निपटने के लिए मुंबई ट्रैफिक पुलिस 16 अगस्त को नो हॉर्न डे के रूप में मना रही हैं। 9 अगस्त को भी मुंबई पुलिस ने नो हॉन्किंग डे के रूप में मनाया। मुंबई ट्रैफिक पुलिस द्वारा जारी आदेशों के अनुसार बाइकर्स को की सलाह दी गई है कि उनके वाहन के हॉर्न और संशोधित साइलेंसर निकास पाइप सेंटर मोटर वाहन नियम 1989 के निर्धारित मानदंडों के अनुरूप हों।
इस पहल का उद्देश्य मोटर चालकों द्वारा अनावश्यक हॉर्न बजाने पर नियंत्रण करना और ध्वनि प्रदूषण को कम करना है। नो हॉन्किंग डे के तहत सार्वजनिक स्थानों पर अनावश्यक हॉर्न बजाने के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मुंबई ट्रैफिक होर्डिंग्स, वेरिएबल मैसेज साइन्स (वीएमएस) बोर्ड और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे विभिन्न माध्यमों का इस्तेमाल किया गया। जिसके बाद इस अभियान को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। कई गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) और स्कूल ध्वनि प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाने में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।
मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने एक एडवाइजरी में कहा कि अनावश्यक हॉर्न बजाने से वातावरण में ध्वनि प्रदूषण जैसी कई समस्याएं पैदा होती हैं। एडवाइजरी में कहा गया है कि यह मनुष्यों के साथ-साथ जानवरों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने ट्वीट किया, “अनावश्यक हॉर्न बजाने की बढ़ती प्रवृत्ति को कम करने के प्रयास में मुंबई 9 अगस्त (बुधवार) और 16 अगस्त को नो हॉन्किंग डे मनाएगा।”
मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने कहा कि उल्लंघनकर्ताओं को मोटर वाहन अधिनियम की धारा 194 (एफ) के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड जैसी आपातकालीन सेवाओं के साथ-साथ आपातकालीन ड्यूटी पर मौजूद अन्य वाहन प्रतिबंधों से मुक्त रहेंगे। मुंबई ट्रैफिक पुलिस का दृष्टिकोण बदलाव लाना है जो न केवल स्पष्ट है बल्कि मुंबई समेत देश में यातायात की स्थिति के लिए इसके दूरगामी परिणाम भी हैं।