प्रतिक्रिया | Wednesday, February 05, 2025

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त्रिपुरा सरकार ने मुख्यमंत्री प्रो. डॉ. माणिक साहा के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के डिजिटल इंडिया भाषिणी प्रभाग (डीआईबीडी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। यह त्रिपुरा की समृद्ध क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ाने और शासन में इन भाषाओं का उपयोग करके नागरिकों की डिजिटल भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के राज्य के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। भाषिणी डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत एक क्रांतिकारी पहल है, जिसका लक्ष्य 22 भारतीय भाषाओं में सभी लोगों के लिए निर्बाध संचार और इंटरनेट पहुंच सुनिश्चित करना है। भाषिणी का उद्देश्य ध्वनि को माध्यम बनाकर डिजिटल और साक्षरता के बीच की खाई को पाटना है।

इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय के अनुसार समझौता ज्ञापन संबंधी हस्ताक्षर समारोह अगरतला के प्रज्ञा भवन में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला- ‘भाषिणी राज्यम’ के दौरान हुआ, जिसका उद्घाटन त्रिपुरा के आईटी मंत्री प्रणजीत सिंह रॉय ने किया।

वर्तमान में, त्रिपुरा के कई नागरिक भाषा संबंधी बाधाओं के कारण चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, खासकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में जो अंग्रेजी या हिंदी में सॉफ्टवेयर सिस्टम से जूझते हैं। भाषिणी मौजूदा प्रणालियों जैसे सीएम हेल्पलाइन, ई-विधान, किसान सहायता ऐप और ई-डिस्ट्रिक्ट के साथ बहुभाषी संचार को सक्षम करने के लिए एकीकृत हो सकती है। यह अमार सरकार जैसे ऐप के जरिए स्थानीय शासन को बेहतर कर सकता है और बहुभाषी प्रोद्यौगिकियों के साथ शिक्षा में सुधार कर सकता है।

भाषिणी एफआईआर का अनुवाद करके और ध्वनि-आधारित डेटा प्रविष्टि को सक्षम बनाकर सीसीटीएनएस प्लेटफॉर्म का भी समर्थन कर सकती है। भाषिणी त्रिपुरा की क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं में इंटरनेट तक पहुंच को आसान बनाकर डिजिटल विभाजन को कम करेगी।

त्रिपुरा पूर्वोत्तर का पहला तथा पूर्वी भारत का भी पहला और देश का आठवां राज्य है, जिसने भाषिणी के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह अग्रणी कदम डिजिटल समावेशिता और बेहतर नागरिक केंद्रित शासन के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए त्रिपुरा की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

त्रिपुरा की इस पहल ने इसे उन नागरिक समर्थक राज्यों में शामिल कर दिया है, जिन्होंने भाषिणी पर केंद्रित कार्यशालाएं आयोजित की हैं, जबकि इससे पहले केवल चार अन्य राज्यों ने ही इसी तरह के कदम उठाए हैं।

 

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आखरी अपडेट: 5th Feb 2025