प्रतिक्रिया | Sunday, July 06, 2025

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आत्मनिर्भर भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक बना ऑपरेशन सिंदूर

पिछले महीने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत बिना नियंत्रण रेखा या अंतरराष्ट्रीय सीमा पार किए पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इस अभियान की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि इसमें पूरी तरह स्वदेशी तकनीक का प्रयोग किया गया। चाहे वह ड्रोन युद्ध हो, एयर डिफेंस या इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर हो। बीते 7-8 मई की रात पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के कई सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला करने की कोशिश की, जिनमें अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, भटिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज शामिल थे। लेकिन भारत की एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली और काउंटर-यूएएस ग्रिड ने इन सभी हमलों को नाकाम कर दिया। इसके अगले ही दिन भारत ने पाकिस्तान के लाहौर में स्थित एयर डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय कर दिया।

स्वदेशी रक्षा प्रणाली का प्रभावशाली प्रदर्शन

ऑपरेशन सिंदूर में वायु रक्षा के लिए पेखोरा, ओसा-AK और लो-लेवल एयर डिफेंस गन जैसे पुराने लेकिन सिद्ध सिस्टम के साथ-साथ स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली का प्रभावशाली प्रदर्शन देखा गया। आकाश प्रणाली मल्टीपल टारगेट्स को एक साथ निशाना बना सकती है और इसे मोबाइल प्लेटफॉर्म पर तैनात किया गया है। सभी रक्षा प्रणालियों को वायुसेना के ‘इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम’ (IACCS) के तहत एकीकृत किया गया, जिससे एक नेट-सेंट्रिक युद्ध रणनीति विकसित हुई। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के नूर खान और रहीमयार खान एयरबेस पर सर्जिकल स्ट्राइक की, जिसमें ‘लॉइटरिंग म्यूनिशन’ या ‘कामिकाजे ड्रोन’ का प्रयोग कर पाक के रडार और मिसाइल सिस्टम को नष्ट किया गया। इसके साथ ही भारतीय तकनीक ने पाकिस्तान के चीनी आपूर्ति वाले एयर डिफेंस सिस्टम को भी बायपास कर दिया।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद कुछ अहम सबूत भी सामने आए, जिनमें चीन के PL-15 मिसाइलों के टुकड़े, तुर्की में बने UAVs ‘यीहा’ (Yiha/YEEHAW), लॉन्ग रेंज रॉकेट्स, क्वाडकॉप्टर्स और कमर्शियल ड्रोन शामिल थे, जिन्हें भारत की रक्षा प्रणालियों ने निष्क्रिय कर दिया। 12 मई को डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि भारत ने एक बहुस्तरीय रक्षा प्रणाली का निर्माण किया है, जिसमें कंधे पर रखे जाने वाले हथियार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और आधुनिक वायु रक्षा हथियार शामिल हैं। इस प्रणाली से पाकिस्तान वायुसेना को भारत के एयरबेस और लॉजिस्टिक ठिकानों पर हमला करने से रोका गया।

2030 तक भारत को वैश्विक ड्रोन हब बनाने का लक्ष्य

वहीं इसरो भी पीछे नहीं रहा। 11 मई को इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने कहा कि देश की सुरक्षा के लिए 10 उपग्रह लगातार निगरानी कर रहे हैं। भारत के 7000 किलोमीटर लंबे समुद्र तट और उत्तरी सीमाओं की निगरानी के लिए उपग्रह और ड्रोन तकनीक अनिवार्य हो गई है। ड्रोन तकनीक भारत के रक्षा क्षेत्र का भविष्य बन गई है। ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया (DFI) 550 कंपनियों और 5500 पायलटों का प्रतिनिधित्व करता है। इसका लक्ष्य भारत को 2030 तक वैश्विक ड्रोन हब बनाना है। इस क्षेत्र में अग्रणी कंपनियों में अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज (जो इजराइल की एल्बिट सिस्टम्स के साथ काम करती है), टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, पारस डिफेंस और IG Drones शामिल हैं। भारत का ड्रोन बाजार 2030 तक 11 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

केंद्र सरकार ने 2021 में विदेशी ड्रोन के आयात पर रोक लगाई और 120 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना शुरू की, जिससे स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा मिला। रक्षा निर्यात 2024-25 में 24,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और लक्ष्य है कि 2029 तक यह 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाया जाए। वहीं ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत भारत ने 2023-24 में 1.27 लाख करोड़ रुपये का स्वदेशी रक्षा उत्पादन किया। आज भारत में धनुष तोप, ATAGS, अर्जुन टैंक, तेजस लड़ाकू विमान, ALH हेलिकॉप्टर, आकाश मिसाइल, 3D रडार, स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर और पनडुब्बियां विकसित की जा रही हैं। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो डिफेंस कॉरिडोर इस विकास को गति दे रहे हैं।

गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य सफलता नहीं, बल्कि भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की विजयगाथा है। यह दिखाता है कि जब सरकार की नीति, निजी क्षेत्र की नवाचार शक्ति और सशस्त्र बलों की रणनीति एक साथ आती है, तो भारत न केवल अपने नागरिकों की रक्षा कर सकता है, बल्कि तकनीकी रूप से उन्नत सैन्य ताकत बन सकता है। भविष्य के युद्ध तकनीक से तय होंगे और भारत अब इसके लिए स्वदेशी ताकत से सुसज्जित तैयार दिखाई दे रहा है।-(With Input PIB)

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आखरी अपडेट: 6th Jul 2025