प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के पहले दिन शनिवार सुबह (स्थानीय समयानुसार) फिलाडेल्फिया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे। पीएम मोदी इस यात्रा के दौरान विलमिंग्टन, डेलावेयर में आयोजित क्वाड लीडर्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे।
भारत से रवाना होने से पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा के साथ क्वाड शिखर सम्मेलन में सहयोग के प्रति अपनी तत्परता व्यक्त की। क्वाड-जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं यह एक रणनीतिक समूह है जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह शिखर सम्मेलन क्षेत्रीय सहयोग और इंडो-पैसिफिक के भविष्य पर केंद्रित होगा।
क्वाड का यह छठा क्वाड शिखर सम्मेलन है और भारत के लिहाज महत्वपूर्ण माना ज रहा है क्योंकि अगला संस्करण भारत की मेजबानी में होगा। इस शिखर सम्मेलन में चारों देशों के नेता संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के सिद्धांतों पर जोर देंगे। पिछला क्वाड शिखर सम्मेलन मई 2023 में जापान के हिरोशिमा में हुआ था।
आपको बता दें कि पीएम मोदी क्वाड शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे, जिसमें भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा और इसे मजबूत करने के नए क्षेत्रों की खोज पर चर्चा होगी। इस बैठक के मुख्य विषयों में रक्षा सहयोग, व्यापार, उन्नत प्रौद्योगिकी और जन-जन के बीच संबंध शामिल होंगे।
गौरतलब है कि भारत और अमेरिका के बीच मजबूत रक्षा संबंध हैं, जिन्हें 2015 में दस साल के लिए नवीनीकृत किया गया था। 2016 में भारत को मेजर डिफेंस पार्टनर का दर्जा दिया गया था और 2018 में भारत को स्ट्रैटेजिक ट्रेड ऑथराइजेशन (STA-1) की सुविधा मिली थी, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा व्यापार और उच्च तकनीकी सहयोग को और सरल बनाया गया। अमेरिका इस समय भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना हुआ है, 2023 में वस्तुओं और सेवाओं का कुल द्विपक्षीय व्यापार 190.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है।
विलमिंग्टन में होने वाले छठे क्वाड शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों और इंडो-पैसिफिक में सहयोग पर चर्चा करेंगे। यह शिखर सम्मेलन क्षेत्रीय स्थिरता, बुनियादी ढांचे के विकास और समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। गौरतलब है कि जबसे क्वाड बना है यह एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरकर सामने आया है, जो एक मुक्त, खुला, समावेशी और समृद्ध इंडो-पैसिफिक के लिए काम कर रहा है। इस बैठक में पिछले सम्मेलनों में किए गए प्रतिबद्धताओं पर चर्चा की जाएगी, विशेष रूप से हिरोशिमा में रखे गए सिद्धांतों पर ध्यान दिया जाएगा।
क्वाड शिखर सम्मेलन के बाद, प्रधानमंत्री मोदी 22 सितंबर को न्यूयॉर्क यात्रा करेंगे, जहां वह नासाउ कोलिज़ियम, यूनियनडेल में भारतीय प्रवासी समुदाय को संबोधित करेंगे। गौरतलब है कि अमेरिका में भारतीय मूल के लगभग 4.4 मिलियन लोग रहते हैं, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें से 3.18 मिलियन भारतीय मूल के लोग हैं। न्यूयॉर्क यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी प्रमुख अमेरिकी कंपनियों के सीईओ के साथ एक महत्वपूर्ण बिजनेस राउंडटेबल में भाग लेंगे। यह बैठक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर्स,बायोटेक्नोलॉजी और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगी, जो दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।
23 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी संयुक्त राष्ट्र के ‘भविष्य शिखर सम्मेलन’ में लेंगे भाग
23 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी संयुक्त राष्ट्र के भविष्य शिखर सम्मेलन (SoTF) में भाग लेंगे, जिसका विषय “बेहतर कल के लिए बहुपक्षीय समाधान” है। यह शिखर सम्मेलन वैश्विक चुनौतियों जैसे स्वास्थ्य संकट, ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक असमानता पर ध्यान केंद्रित करेगा। SoTF का आयोजन संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर किया जा रहा है, जो 2025 में मनाई जाएगी।
शिखर सम्मेलन का मुख्य परिणाम भविष्य के लिए समझौता होगा, जिसमें ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट और फ्यूचर जनरेशन की घोषणा जैसे दो प्रमुख हिस्से शामिल होंगे। यह दस्तावेज़ भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों और वैश्विक शासन सुधारों पर ध्यान केंद्रित करेगा। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका और अमेरिका के साथ उसकी मजबूत साझेदारी को दर्शाती है। पीएम मोदी की इस यात्रा से बहुपक्षीय मंचों पर भारत की स्थिति को और मजबूती और वैश्विक नेताओं के साथ संबंध और प्रगाढ़ होने की उम्मीद है।