पीएम मोदी ने नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए प्रधानमंत्री ने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि भारत एक परिवर्तनकारी यात्रा पर निकल पड़ा है, जिसे अमृत काल के रूप में जाना जाता है, जो 2047 में समाप्त होगी। उन्होंने कहा कि यह अवधि देश के विकसित भारत के उदय का गवाह बनेगी। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के ज्ञान से निर्देशित देश का विकास रोडमैप अभूतपूर्व और सकारात्मक बदलाव लाएगा। उन्होंने कहा कि देश बुद्ध की शाश्वत शिक्षाओं का पालन करके विकास की नई राह तैयार कर रहा है।
भाषा, साहित्य, कला और अध्यात्म राष्ट्र की पहचान
इस दौरान उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि भाषा, साहित्य, कला और अध्यात्म जैसे सांस्कृतिक स्तंभ किसी राष्ट्र की पहचान को आकार देते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है, लेकिन यह आत्म-सम्मान, आत्मविश्वास और आत्म-गौरव में गहराई से निहित है।
भाषाएं सभ्यता और संस्कृति की आत्मा
पीएम मोदी ने देश के युवाओं से विज्ञान और प्रौद्योगिकी में दुनिया का नेतृत्व करते हुए अपनी संस्कृति और मूल्यों पर गर्व करने का भी आह्वान किया। पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के सरकार के फैसले पर उन्होंने कहा कि भाषाएं सिर्फ बातचीत का माध्यम नहीं होती, बल्कि ये सभ्यता और संस्कृति की आत्मा होती हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है और इससे इस साल अभिधम्म दिवस का आयोजन ऐतिहासिक हो गया है।
धम्म सभी मनुष्यों के लिए शांति का मार्ग
उन्होंने कहा कि पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देना भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान है। देश की समृद्ध विरासत और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए सरकार के चल रहे प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के विभिन्न देशों से 600 प्राचीन कलाकृतियां और अवशेष देश में वापस लाए गए हैं। बुद्ध की शिक्षाओं पर पीएम मोदी ने कहा कि धम्म का मतलब है बुद्ध का संदेश, बुद्ध के सिद्धांत और मानव अस्तित्व से जुड़े सवालों का समाधान। उन्होंने कहा कि धम्म सभी मनुष्यों के लिए शांति का मार्ग है। उन्होंने कहा कि अभिधम्म दिवस हमें याद दिलाता है कि करुणा और सद्भावना दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने की कुंजी हैं। अभिधम्म दिवस के इस पावन अवसर पर प्रधानमंत्री ने सभी को, खासकर भगवान बुद्ध के अनुयायियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि आज शरद पूर्णिमा का पावन पर्व और महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती है।
पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के सरकार के हालिया फैसले की कई शिक्षाविदों और विद्वानों ने सराहना की है। विद्वान डॉ. भदंत राहुल ने इस फैसले की सराहना करते हुए कहा कि इससे लोगों में पाली भाषा के प्रति जागरूकता आएगी और देश के युवाओं को इसका लाभ मिलेगा।