पीएम मोदी ने 8 दिनों में पांच देशों का दौरा करके भारत को बेहद खास मुकाम पर पहुंचा दिया। ये उन्हीं की कवायदों का असर है कि आज हमारा देश अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर ग्लोबल साउथ की नुमाइंदगी को बुलंद कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में 140 करोड़ भारतवासियों की आवाज ब्रिक्स समेत नामीबिया, ब्राजील, त्रिनिदाद और टोबैगो, घाना एवं अर्जेंटीना में सुनाई दी। जहां एक तरफ पश्चिम एशिया और पूर्वी यूरोप जंगी तपिश में सुलग रहा है, वहीं दूसरी तरफ कैरेबियन मुल्क, लैटिन अमेरिका और कई अफ्रीकी देश भारत से बड़ी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, विस्तारित होता मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, तेजी से फैलता कूटनीतिक दबदबा और समावेशी लोकतांत्रिक परिवेश इन सभी देशों के लिए आशा की किरण बनी हुई है। 2 जुलाई 2025 से 09 जुलाई 2025 तक चले पीएम मोदी के विदेशी दौरे के दौरान कई अहम कारोबारी समझौते, द्विपक्षीय/बहुपक्षीय बैठकें और आर्थिक सहयोग से जुड़े मुद्दों पर साझा सहमति बनी। अब इन देशों को भारतीय तकनीकी का सीधा लाभ मिलेगा, जिसकी मदद से वो अपने लिए डिजिटल आधारित संरचना तैयार कर पायेगें। साथ ही रक्षा सहयोग, आधुनिक कृषि तकनीकें और औषधि/टीका उत्पादन से जुड़े लाभ भी ये देश उठा पायेंगे।
ब्राजील में दिखी भारत की बढ़ती सॉफ्ट पावर
भारत ने ब्राजील को खास साझेदार की तव्जजों देते हुए वैश्विक शक्ति संतुलन की दिशा में शानदार कदम उठाया है। राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा के सकारात्मक सहयोग से समावेशी आर्थिक नीतियों, सतत विकास और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भारत को अपनी आवाज वैश्विक मंचों पर और ज्यादा प्रभावी बनाने में खासा मदद मिलेगी। करीब 19 साल पहले वर्ष 2006 से भारत की ब्राजील के साथ चली आ रही साझेदारी और ज्यादा गहरी हुई। द्विपक्षीय वार्ता के दौरान दोनों ही राष्ट्राध्याक्षों ने आतंकवाद रोधी समझौते समेत कारोबार, ग्रीन–क्लीन एनर्जी, साइबर, बॉयोफ्यूल, ऊर्जा संरक्षण, इनोवेशन, निवेश और स्पेस से जुड़ी संभावनाओं पर आगे बढ़ने की साझा सहमति जाहिर की। योगी आचार्य जोनास मासेटी ने पीएम मोदी के ब्राजील दौरे को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुल माना, जिससे कि दोनों देशों की आत्मीय समीपता बढ़ेगी। ब्रासीलिया और रियो में अपने मजबूत कदमों की आहट से पीएम मोदी ने विकासशील देशों को ये संदेश दे दिया कि आने वाले समय में भारत इन देशों के हित के लिए सदैव प्रयत्नशील रहेगा। ब्रिक्स के मंच से बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में भारत ने अपनी स्थिति को काफी सुदृढ़ किया। इसके साथ ही ब्रिक्स से जुड़े नए सदस्यों (जैसे मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब, और इंडोनेशिया) के बीच भारत की भूमिका नेतृत्वकारी के तौर पर दिखी। वैश्विक कूटनीति में G20 जैसे मंचों पर हाल की सफलताओं के बाद ब्रिक्स में भारत की मौजूदा स्थिति वाकई बेजोड़ दिखी।
भारत के साथ खड़ा अर्जेंटीना
5 दशक से ज्यादा समय बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ये पहली अर्जेंटीना यात्रा थी। दोनों मुल्कों के बीच करीब 75 साल पुराने राजनयिक संबंध है। साल 2019 से दोनों मुल्कों के दरमियान मजबूत रणनीतिक साझेदारी है। राष्ट्रपति जेवियर मिलेई ने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की सदस्यता का समर्थन करके साझा संबंधों को नया आयाम दिया। जिस रफ्तार के साथ भारत में पीएम मोदी की अगुवाई में ईवी क्रांति आ रही है, उसके लिए अर्जेंटीना ने भारतीय कंपनी को अपनी सरजमीं पर लिथियम खनन का अधिकार देकर शानदार काम किया। मेक इन इंडिया में भरोसा दिखाते हुए भारतीय लड़ाकू विमान तेजस में वहां के सशस्त्र बलों ने खासा दिलचस्पी दिखायी है।वहीं द्विपक्षीय वार्ताओं के दौरान संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण, तकनीक हस्तांतरण और रक्षा उत्पादन जैसे मुद्दों पर गहन वार्ताएं हुई। साझा चर्चा सत्रों के दौरान पीएम मोदी के समक्ष राष्ट्रपति जेवियर मिलेई ने पाकिस्तान प्रायोजित आंतकवाद की स्पष्ट निंदा की। इसके साथ ही भारत की वैश्विक सुरक्षा नीति और आंतकरोधी रवैये के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।
लिथियम, तांबा और दुर्लभ खनिज उत्खनन तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अर्जेंटीना की सरकार ने भारत को हर मुमकिन मदद का भरोसा दिया। अर्जेंटीना के इस आश्वासन से नई दिल्ली की निर्भरता बीजिंग पर खत्म हो जायेगी। पश्चिम एशिया में जंगी तनातनी के बीच क्रूड ऑयल और प्राकृतिक गैस की सप्लाई चेन खासा प्रभावित हुई, ऐसे में अर्जेंटीना के गैस-पेट्रोलियम भंडार भारत के लिए संभावित बेहतर विकल्प हो सकता है। इसी के मद्देनजर दोनों देशों के बीच फॉसिल फ्यूल और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में साझा सहयोग के लेकर चर्चा हुई, इस द्विपक्षीय कवायद से नई दिल्ली के ऊर्जा सुरक्षा कार्यक्रमों को मजबूती मिलेगी। अपने अर्जेंटीना दौरे के दौरान पीएम मोदी ने महात्मा गांधी की प्रतिमा को पुष्पांजलि और अर्जेंटीना के स्वतंत्रता सेनानी जनरल जोस डे सैन मार्टिन को श्रद्धांजलि देकर सांकेतिक तौर पर दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्तों में नया अध्याय जोड़ दिया।
अर्जेंटीना के नीति नियंता भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम, आईटी, फार्मा और हेल्थटेक के बड़े प्रशंसक हैं, इसलिए पीएम मोदी से विर्मश कर वे इन भारतीय विशेषज्ञताओं को हासिल करने का मन बना चुके हैं। अर्जेंटीना ने भारत की UPI प्रणाली, डिजिटल गवर्नेंस और टेलीमेडिसिन के क्षेत्र में अपनी समझ विकसित करने के लिए सहयोग को बढ़ावा देने की मांग की, जिस पर नई दिल्ली ने सहमति जाहिर की। समझौतों और सहयोग की इस गर्मजोशी के बीच पीएम मोदी ने अर्जेंटीना के राष्ट्रपति मिलेई को गुजरात में गिर के शेर देखने का न्यौता दिया। भले पीएम मोदी का दौरा अर्जेंटीना तक ही सीमित था, लेकिन इसका असर पूरे लैटिन अमेरिका में देखने को मिलेगा।
त्रिनिदाद और टोबैगो ने किया 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान
त्रिनिदाद और टोबैगो ने अपने सर्वोच्च नागारिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो’ से पीएम मोदी को सम्मानित कर भारत को गौरवान्वित किया। साल 1999 के बाद पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने कैरेबियाई सरजमीं के इस देश का दौरा किया। नई दिल्ली का इस मुल्क से जुड़ाव 18 दशक पुराना है। जब भारतीय प्रवासियों ने यहां कदम रखे। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्तों को नयी ताजगी देते हुए पीएम मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद में अपना संबोधन जारी किया। साथ ही कूटनीतिक संबंधों गति देने के लिए राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू और प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर के साथ उच्च स्तरीय वार्ता की। इस मौके पर पीएम मोदी ने ऐलान किया कि त्रिनिदाद और टोबैगो के भारतीय मूल के लोगों की छठी पीढ़ी तक को OCI कार्ड मुहैया करवाया जायेगा ताकि भारत से उनका अनन्य/अप्रतिम जुड़ाव बना रहे। इसी बात को केंद्र में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने समकक्ष बिसेसर को अयोध्या के राम मंदिर की प्रतिकृति और सरयू जी का पवित्र जल भेंट किया। ये भेंट सांकेतिक तौर पर दोनों देशों के बीच गहरे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक चिन्ह है। तेजी से बदलती वैश्विक भू-राजनीति और परिवर्तित होते शक्ति संतुलन के बीच पीएम मोदी के इस दौरे से नई दिल्ली ने कैरेबियाई क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को मजबूती दी। साफ है कि ये नीति ग्लोबल साउथ के देशों के साथ भारत के एजेंडे को मजबूत करने का हिस्सा थी। साथ ही पोर्ट ऑफ स्पेन और नई दिल्ली ने अपनी नयी पारी का आगाज करते हुए खेल, शिक्षा, फार्मास्यूटिकल्स, खेती-किसानी, स्वास्थ्य और डिजिटल सहयोग से जुड़े छह समझौतों के करारनामों पर रजामंदी जाहिर की। रणनीतिक प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाते हुए भारत ने आपदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, रक्षा, प्रौद्योगिकी और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति का समर्थन किया। गौरतलब है कि आने वाले कल में दोनों मुल्कों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक साझा सहयोग नई बुलंदियों को छूऐंगे।
घाना के रास्ते अफ्रीका में बढ़ेगा भारत का दबदबा
5 अरब डॉलर से ज्यादा का द्विपक्षीय कारोबार, 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का भारतीय निवेश और घाना से भारतीय जरूरतों के 80 फीसदी सोने का आयात ये बिंदु स्पष्ट करते है कि भारत के साथ घाना के कितने गहरे कारोबारी रिश्ते हैं। इन्हें केंद्र में रखते हुए रणनीतिक, कूटनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती देने के लिए पीएम मोदी ने घाना में कई अहम कार्यक्रमों में शिरकत की। नई दिल्ली ने अपने तकनीकी वर्चस्व के परचम को लहराते हुए UPI डिजिटल पेमेंट सिस्टम को घाना में परिचालन की मंजूरी दी। दूसरी ओर चीन की विस्तारवादी रणनीतिक चाल के जवाब में अफ्रीका नीति को मजबूत किया। रेयर अर्थ मिनरल्स के क्षेत्र में बीजिंग के एकाधिकार को चुनौती देने के लिए नई दिल्ली ने अपने साथ विश्वसनीय भागीदार घाना को जोड़कर शानदार कदम उठाया। दीर्घकालिक साझेदारी के लिए रणनीतिक और सामरिक क्षेत्र से जुड़े अहम समझौतों पर दोनों देशों में हस्ताक्षर किए। घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा ने पीएम मोदी को ‘ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना’ से सम्मानित किया। ये सम्मान नई दिल्ली की बढ़ती विश्वसनीयता, साख और वैश्विक स्वीकार्यता को दर्शाता है। शिक्षा के क्षेत्र में पीएम ने घाना को दो बड़ी सौगातों से नवाजा, इसके तहत घाना के छात्रों को मिलने वाली वजीफे की रकम को दुगुना करने का ऐलान किया गया। साथ ही स्किल डेवलपमेंट सेंटर बनाने की भी घोषणा की गयी। पीएम मोदी का घाना दौरा सम्पूर्ण अफ्रीकी महाद्वीप पर अपना असर छोड़ेगा। साफ है कि भारत अफ्रीका को लेकर विदेश नीति और अंतरमहाद्वीपीय सहयोग की नई पारी की शुरूआत कर चुका है।
नामीबिया के साथ शुरू हुआ द्विपक्षीय संबंधों का नया अध्याय
उपनिवेशवाद विरोधी संघर्ष के चलते भारत और नामीबिया का दशकों पुराना रिश्ता रहा है। पूर्व में नामीबिया के स्वतंत्रता संग्राम को मिले भारतीय समर्थन ने दोनों देशों के बीच संबंधों की नींव डाली थी। आत्मीयता का वो अंकुर अब मजबूत कारोबारी और द्विपक्षीय गहरे रिश्तों वाला वटवृक्ष बन चुका है। राष्ट्रपति नेतुम्बो नांदी-नदैतवा और पीएम मोदी जिस गर्मजोशी से मिले, उससे आपसी समझ, साझेदारी और तरक्की के नए रास्ते खुलेगें। ‘चीता प्रोजेक्ट’ के कारण पहले ही दोनों देशों के बीच जैव विविधता संरक्षण, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय आदान प्रदान नए स्तर पर पहुंच चुका है। यूरेनियम, तांबा, जिंक और लिथियम जैसे अहम खनिजों को लेकर सहयोग बढ़ाने के प्रति दोनों देशों के बीच गहन चर्चा हुई। भारत के साथ ये कदम उठाकर नामीबिया जल्द से जल्द चीन के कर्ज आधारित प्रभाव से बाहर निकल पायेगा। खास ये भी है कि सामरिक और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के लिए पीएम मोदी ने नामीबिया को मेक इन इंडिया के तहत बने फौजी साजोसामान को मुहैया करवाने का भी आश्वासन दिया। भारत की डिजिटल कूटनीति के तहत नामीबिया में UPI लागू करने के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ नामीबिया और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के बीच समझौता हुआ।
प्रधानमंत्री मोदी ने पांच देशों की यात्रा करके साफ कर दिया है कि विकासशील देशों की आवाज को वे वैश्विक मंचों पर पिछड़ने नहीं देगें। साथ ही तीसरी दुनिया के देशों को विकास पथ पर आगे बढ़ाने में तकनीकी हस्तांतरण, नवाचार और वित्त पोषण हर संभव विकल्पों को लागू करने में गुरेज नहीं करेंगे। पीएम मोदी के इन कदमों से नई दिल्ली की छवि वैश्विक पटल पर काफी मजबूत होगी। साफ है कि ये सभी कवायदें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर मजबूत दावेदारी और नए रास्ते भी खोलेगी।
-(लेखक राम अजोर वरिष्ठ पत्रकार एवं समसामयिक मामलों के विश्लेषक हैं)