विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता अरिदम बागची ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि भारत की स्थिति पीओके (POK ) पर बहुत साफ है, “यह भारत का हिस्सा है और हमें रुख बदलने का कोई कारण नहीं दिखता है।” “मुझे नहीं लगता कि मुझे वास्तव में पीओके पर अपनी स्थिति दोहराने की जरूरत है।
प्रेस ब्रीफिंग में अरिदम बागची ने गुरुवार (8 दिसंबर) को कहा कि मुझे संसद में गृह मंत्री के बयान को स्पष्ट करने की जरूर नहीं है। POK पर हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है हम इसे भारत का हिस्सा मानते हैं और निश्चित रूप से हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है।” बागची लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान को पाकिस्तान द्वारा खारिज किये जाने से संबंधित एक सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि पीओके हमारा है।
POK पर सरकार की स्थिति साफ है
ज्ञात हो कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार (6 दिसंबर) को लोकसभा में कहा था कि पीओके हमारा है, इसलिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लिए चौबीस सीटें आरक्षित की गई हैं। लोकसभा में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश करते हुए, शाह ने कहा कि पहले जम्मू में 37 सीटें थीं, लेकिन अब 43 हैं, जबकि कश्मीर में 46 सीटें थीं, अब 47 सीटें हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन के लिए केंद्र द्वारा गठित परिसीमन आयोग ने पीओके के लिए 24 सीटें आरक्षित की हैं।
POK हमारा है
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “परिसीमन (आयोग) जम्मू-कश्मीर में हर जगह गया। कश्मीरी प्रवासियों और पीओके में विस्थापित लोगों सहित कई समुदायों के प्रतिनिधियों ने राज्य विधानसभा में अपने प्रतिनिधित्व के संबंध में उन्हें आवेदन सौंपे थे। मुझे खुशी है कि आयोग ने संज्ञान लिया है इसमें से और (तत्कालीन) भारत के चुनाव आयुक्त ने राज्य विधानसभा में दो सीटें कश्मीरी प्रवासियों के लिए और एक सीट पीओके में विस्थापित व्यक्ति के लिए नामित की है, जिस पर पाकिस्तान ने अनधिकृत रूप से कब्जा कर लिया है।” “पहले जम्मू (डिवीजन) में 37 सीटें थीं, अब 43 हैं। कश्मीर में पहते 46 थीं, अब 47 हैं। और पीओके के लिए 24 सीटें आरक्षित की गई हैं, क्योंकि वो हमारा हे (क्योंकि POK हमारा है)।”
उन्होंने आगे कहा, “पहले दो महिलाओं को राज्य विधानसभा में राज्यपाल द्वारा नामित किया गया था। और अब, दो कश्मीरी प्रवासियों, जिनमें से एक महिला होनी चाहिए और पीओके से एक व्यक्ति को नामित किया जाएगा।” बहस के दौरान शाह ने यह भी कहा कि ये विधेयक उन लोगों को न्याय दिलाने से संबंधित हैं जिनके खिलाफ अन्याय हुआ है।
सियासत तेज हो चली है
मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह के PoK वाले बयान के बाद सियासत तेज हो चली है। तमाम तरह के आरोप और प्रत्यारोप के बीच विदेश मंत्रालय ने बड़ा बयान जारी किया है। जिसमें विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK ) पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान का समर्थन किया है।
भारत का अभिन्न अंग है PoK
दरअसल 1947 के भारत- पकिस्तान बंटवारे के वक्त और इसके पहले तक जम्मू-कश्मीर आजाद रियासत थी। अंग्रेज इस रियासत को इसके तत्कालीन महाराजा हरिसिंह को सौंप गए थे। जब दूसरी रियासतों का भारत में विलय हो रहा था, उस वक्त हरिसिंह अनाकानी करने में लग गए। वह इस स्वतंत्र रियासत के महाराजा बने रहना चाहते थे। इस बीच पाकिस्तान की फौजों ने कबाइली बनकर कश्मीर पर हमला कर दिया। हरिसिंह के विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भारतीय फौजें कश्मीर में पहुंच गईं। तब तक कश्मीर के एक हिस्से पर कब्जा हो चुका था।
उस वक्त हमारी फौजें आसानी से पाकिस्तान को खदेड़ भी देतीं। लेकिन, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय संघर्ष विराम का फैसला लिया, और वे जम्मू-कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र में लेकर चले गए। यह मामला वहां तभी से फंसा है। पाकिस्तान के कब्जे वाले इस क्षेत्र को ही पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) कहते हैं। सरकार ने अपनी मंशा साफ कर दी है। वह इस क्षेत्र से पाकिस्तान को खदेड़कर मानेगी, और POK को लेकर ही मानेगी, जो हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है।