प्रतिक्रिया | Thursday, May 01, 2025

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भारत ने फ्रांस के साथ 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों के रक्षा समझौते को अंतिम रूप दे दिया है। करीब 7.4 बिलियन डॉलर (63,000 करोड़ रुपए) की यह डील न केवल भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करती है, बल्कि रूस पर निर्भरता से दूर एक निर्णायक बदलाव का संकेत भी देती है, जो देश के व्यापक रक्षा आधुनिकीकरण और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी मजबूती देगी। यह साहसिक पहल सिर्फ एक डिफेंस डील नहीं है बल्कि एक रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक है, जो भारत की बढ़ती रक्षा क्षमताओं और कूटनीतिक ताकत को दर्शाता है।

एक रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक

बैटल-टेस्टेड राफेल लड़ाकू जेट का नेवल वेरिएंट राफेल मरीन, विशेष रूप से विमान वाहक संचालन के लिए इंजीनियर किया गया है। भारत ने रूस के साथ जो अनुबंध किया है उसमें 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर राफेल एम (मरीन) जेट शामिल हैं। हवा से हवा और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों सहित पूर्ण हथियार प्रणाली से लैस होंगी ये मरीन। राफेल मरीन जेट को भारत के पहले स्वदेशी रूप से निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा, जिससे भारत की वाहक हमले की क्षमता और त्वरित प्रतिक्रिया युद्ध तत्परता बढ़ेगी। इनकी डिलीवरी 2028 में शुरू होगी और 2030 तक पूरी हो जाएगी, जिसमें भारतीय नौसेना के पायलट और ग्राउंड क्रू फ्रांस और भारत में संयुक्त प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। डिफेंस एक्सपर्ट का मानना है कि यह सौदा भारतीय नौसेना विमानन के लिए एक गेम-चेंजर होगा।

चीन और पाकिस्तान को कड़ा संदेश

हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में बढ़ते तनाव को देखते हुए चीन और पाकिस्तान के लगातार उकसावे के बीच भारत की नौसैनिक तैयारी एक राष्ट्रीय अनिवार्यता बन गई है। यह कदम इंडो-पैसिफिक में चीन की बढ़ती मौजूदगी और प्रमुख समुद्री क्षेत्रों में चल रहे तनाव के बीच भारत की नौसेना की तत्परता सुनिश्चित करता है। यह सौदा दर्शाता है कि भारत रक्षा सोर्सिंग में एक रणनीतिक पुनर्गठन के लिए मजूबी से कदम उठा रहा है। QUAD सहयोगियों, विशेष रूप से फ्रांस और यू.एस. के साथ बढ़ी हुई अंतरक्रियाशीलता अशांति के ‘द्योतक’ बन चुके देशों के माथे पर बल डाल रही है।

‘मेक इन इंडिया’ मिशन और रोजगार

इतना ही नहीं यह डील भारत के ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को भी मजबूती देती है। एक तरफ भारत की सामरिक शक्ति बढ़ रही है तो वहीं दूसरी तरफ नौकरियों, उद्योग और तकनीक हस्तांतरण की दिशा में दूरगामी परिणामों की नींव रखी जा रही है। फायरपावर से परे, यह सौदा भारत के घरेलू रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। आने वाले समय में विमानन, रसद और अनुसंधान एवं विकास में हजारों उच्च-कौशल वाली नौकरियों की उम्मीद बढ़ी है। प्रौद्योगिकी-साझाकरण के जरिए, भारत अपने स्वदेशी रूप से विकसित एस्ट्रा एयर-टू-एयर मिसाइलों को राफेल एम के साथ इंटीग्रेट करने के लिए भी तैयार है। यह कदम भारत की बढ़ती तकनीकी बढ़त को दर्शाता है।

ईंट का जवाब पत्थर से देगा भारत

चीन की बढ़ती समुद्री आक्रामकता और हिंद महासागर में क्षेत्रीय चुनौतियों के साथ, भारत का निर्णय ईंट का जवाब पत्थर से देने का स्पष्ट संदेश देता है। राफेल मरीन सौदा भारत के मजबूत इरादे का बड़ा संदेश है। यह भारत के एक आधुनिक, आत्मनिर्भर और वैश्विक रूप से एकीकृत रक्षा शक्ति के रूप में उभरने का संकेत है। रणनीतिक बढ़त से लेकर औद्योगिक विकास और कूटनीतिक मजबूती तक, इस मेगा डील के प्रभाव आने वाले वर्षों में रक्षा गलियारों में महसूस किए जाएंगे। कुल मिलाकर यह सौदा बीजिंग और इस्लामाबाद के लिए एक सीधा संकेत है कि भारत अब अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में सिर्फ कूटनीति से संतुष्ट नहीं है, आधुनिक, आत्मनिर्भर सेना बनाने के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता अटल है।

शक्ति के साथ शांति में विश्वास

जो चीन, हिंद महासागर क्षेत्र में नौसैनिक अड्डों और ‘लोन लाइजनिंग’ के जरिए अपने नापाक इरादे पूरे होने के दिन में सपने देख रहा है उसके लिए यह सौदा इस क्षेत्र में भारत के प्रभुत्व को फिर से स्थापित करता है। साथ ही चीन के हाथों खेलने वाले पाकिस्तान के लिए संदेश स्पष्ट है कि आज के भारत के पास निर्णायक रूप से जवाब देने के साधन और इच्छाशक्ति दोनों हैं। आज का भारत शक्ति के साथ-साथ शांति में विश्वास रखता है।

आर्थिक और औद्योगिक पावरप्ले

तमाम डिफेंस एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि यह डील डिफेंस के अलावा ‘आर्थिक और औद्योगिक पावरप्ले’ का भी हस्ताक्षर है। आने वाले समय में भारतीय डिफेंस स्टार्टअप और एमएसएमई राफेल सप्लाई चेन का हिस्सा होंगे,जिससे अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। मोदी सरकार का यह डबल इंजन वाला विकास मॉडल भारत को एक उभरती वैश्विक सैन्य शक्ति के रूप में तो दर्शाता ही है साथ ही विकास के मॉडल को भी बड़े कैनवास पर उकेरता नजर आता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं

कुल मिलाकर मोदी सरकार ने एक बार फिर यह साबित किया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। राफेल मरीन सौदा एक मजबूत, संप्रभु और आत्मनिर्भर भारत के मजबूती से बढ़ते कदम का स्पष्ट संदेश है। एक ऐसा भारत जो चीन के विस्तारवाद या पाकिस्तान की अस्थिरता से भयभीत नहीं होगा बल्कि अशांति फैलाने वाले देशों को मुंहतोड़ जवाब देगा। चूंकि भारत मानवता और शांति में विश्वास रखता है लेकिन आज का भारत वाकई छेड़ने वालों को छोड़ने के मूड में भी कतई नहीं है।


- (लेखक अमित शर्मा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर गहरी पकड़ रखने वाले अनुभवी पत्रकार हैं।)

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आखरी अपडेट: 1st May 2025