प्रतिक्रिया | Sunday, January 26, 2025

  • Twitter
  • Facebook
  • YouTube
  • Instagram

गणतंत्र दिवस से पहले कर्तव्य पथ पर रिहर्सल के दौरान झांकियों ने लोगों का मन मोह लिया। कला, मूर्तिकला और सांस्कृतिक विविधता के एक अनूठे मिश्रण के साथ गणतंत्र दिवस 2025 के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की झांकी भारतीय संविधान के 75 वर्षों को प्रदर्शित कर रही है। इसने 23 जनवरी 2025 को कर्तव्य पथ पर पूर्वाभ्यास के दौरान दर्शकों को रोमांचित कर दिया।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की झांकी में खास
भारत का संविधान न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के लिए मार्गदर्शक शक्ति है, और इसकी नींव प्रदान करता है। यह विकास और उन्नति के लिए एक ढांचा प्रदान करता है, जिससे आर्थिक समावेशन के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से ऊपर उठाया जा सके। यह झांकी संविधान में मौजूद जटिल चित्रणों को जीवंत करती है। इसमें जेबू बैल – जो शक्ति और नेतृत्व का प्रतीक है (हड़प्पा की मुहर से लिया गया), अशोक की लाट – जो लचीलापन और एकता का प्रतिनिधित्व करता है, और घूमने वाला चक्र – जो निरंतर प्रगति दिखाता है, शामिल हैं।

नंदलाल बोस की कलाकृतियों को मूर्तिकला पैनलों पर प्रमुखता से दर्शाया
किनारों पर बनी जटिल रूप से तराशी गई आकृतियां ऑप्टिक्स के सिद्धांत का उपयोग करती हैं, जिससे दर्शकों को उनका पीछा करने का आभास होता है, और इस प्रकार एकता और भाईचारे का संदेश फैलाया जाता है। संविधान में नंदलाल बोस की कलाकृतियों को मूर्तिकला पैनलों पर प्रमुखता से दर्शाया गया है। मुख्य आकर्षण संविधान की एक प्रतिकृति है, जिसमें प्रस्तावना को प्रमुखता से दिखाया गया है। विविध क्षेत्रों के लोगों के जीवंत दृश्य झांकी में नवीनता जोड़ते हैं।

बता दें कि भारतीय संविधान की मूल प्रति को चित्रों से सजाने वाले चित्रकार नंदलाल बोस ही थे। नंदलाल बोस ने भारतीय संविधान की मूल प्रति को सजाया। उन्होंने संविधान को 22 चित्रों और बॉर्डर से सजाया।

आगंतुकों: 15751878
आखरी अपडेट: 26th Jan 2025