सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी समितियों के नेतृत्व वाली “श्वेत क्रांति 2.0” की शुरुआत की है जिसका उद्देश्य सहकारी कवरेज का विस्तार, रोजगार सृजन और महिला सशक्तिकरण करना है। इसका उद्देश्य “अगले पांच वर्षों में डेयरी सहकारी समितियों के दुग्ध क्रय में वर्तमान स्तर से 50% तक वृद्धि करना है, ताकि इनके दायरे में आने वाले क्षेत्रों में डेयरी किसानों को बाजार तक पहुंच प्रदान की जा सके और संगठित क्षेत्र में डेयरी सहकारी समितियों की हिस्सेदारी बढ़ाई जा सके।”
श्वेत क्रांति 2.0 के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) सितंबर 2024 को शुरू की गई। कुल मिलाकर, पांचवें वर्ष यानी 2028-29 के अंत तक, डेयरी सहकारी समितियों की ओर दूध की खरीद 1007 लाख किलोग्राम प्रतिदिन तक पहुंचने की उम्मीद है। इस लक्ष्य को द्विआयामी रणनीतियों के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा:
- –डेयरी सहकारी समितियों के दायरे में आने वाले क्षेत्रों का विस्तार करना।
- –डेयरी सहकारी समितियों की पहुंच बढ़ाना।
इन उद्देश्य के लिए, सहकारिता मंत्रालय ने इसके अंतर्गत पंचायतों/गांवों में 75,000 नई डेयरी सहकारी समितियों (डीसीएस) की स्थापना करने और 46,422 मौजूदा डेयरी सहकारी समितियों को मजबूत करने की परिकल्पना की है। इन डेयरी सहकारी समितियों को मौजूदा दूध मार्गों का विस्तार करके या नए दूध मार्ग बनाकर बाजार से संपर्क प्रदान किया जाएगा। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) श्वेत क्रांति 2.0 से संबंधित विभिन्न गतिविधियों का समन्वय करेगा।
भारत के डेयरी क्षेत्र में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे दूध दुहने, चारा खिलाने, मवेशियों की देखभाल और उनका बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करने से संबंधित महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। डेयरी कृषि में लगभग 70% कार्यबल महिलाएं हैं, फिर भी इस क्षेत्र की असंगठित प्रकृति के कारण उनके योगदान को अक्सर कम आंका जाता है।
महिलाओं के नेतृत्व वाली डेयरी सहकारी समितियां उनके सशक्तिकरण के लिए शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरी हैं। श्वेत क्रांति 2.0 के अंतर्गत प्रत्येक उस पंचायत/गांव में डेयरी सहकारी समिति (डीसीएस) की स्थापना करके, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अधिक महिला डेयरी किसानों को संगठित डेयरी सहकारी क्षेत्र के तहत लाया जाएगा, जहां इनका अभाव है। जहां तक पंजाब का संबंध है, श्वेत क्रांति 2.0 के तहत 2,378 नई डेयरी सहकारी समितियां (डीसीएस) स्थापित करने और 2,440 मौजूदा समितियों को मजबूत करने का लक्ष्य रखा गया है और अब तक 87 समितियां पंजीकृत हो चुकी हैं।