8 मई को अंतर्राष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस के मौके पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने थैलेसीमिया की समय पर पहचान और रोकथाम के महत्व पर जोर दिया।
इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने बताया कि देश में लगभग 1 लाख थैलेसीमिया के मरीज हैं, जिनमें सालाना करीब 10,000 नए मामले सामने आते हैं। उन्होंने शीघ्र पता लगाने के लिए व्यापक जांच सहित सक्रिय उपायों पर जोर दिया।
इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में अपूर्व चंद्रा ने थैलेसीमिया की प्रभावी रोकथाम के तरीकों और उपचार को बढ़ावा देने के लिए इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड थैलेसीमिक्स इंडिया के सहयोग से बनाया गया एक वीडियो भी लॉन्च किया।
स्वास्थ्य सचिव ने बीमारी की व्यापकता को कम करने के लिए एनएचएम के तहत मौजूदा प्रजनन और बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) कार्यक्रमों में अनिवार्य थैलेसीमिया परीक्षण को शामिल करने की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने इसे अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों और गतिविधियों में शामिल भी कर लिया है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों से भी थैलेसीमिया के लिए स्क्रीनिंग और परीक्षण को शामिल करने और उसके विस्तार करने के लिए आग्रह किया जाएगा।
थैलेसीमिया एक वंशानुगत रक्त विकार
बता दें कि थैलेसीमिया एक वंशानुगत रक्त विकार है जिसके कारण शरीर में सामान्य से कम हीमोग्लोबिन होता है। अंतर्राष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस रोकथाम, जागरूकता, बीमारी का शीघ्र पता लगाने और थैलेसीमिया से प्रभावित लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण देखभाल सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है।
इस वर्ष की थैलेसीमिया की थीम “जीवन को सशक्त बनाना,प्रगति को अपनाना सभी के लिए न्यायसंगत और सुलभ थैलेसीमिया” उपचार रखा गया जो थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों की देखभाल की दिशा में सामूहिक प्रयास को दर्शाता है।