प्रतिक्रिया | Sunday, August 03, 2025

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ट्रंप का टैरिफ दबाव और भारत की अडिग प्रतिबद्धता: हितों की रक्षा से आर्थिक प्रगति तक

भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से व्यापार समझौते को लेकर वार्ता जारी है। कई दौर की बातचीत में कुछ मुद्दों पर सहमति बन चुकी है, जबकि कुछ पर चर्चा अभी बाकी है। इसी बीच बुधवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक भारत पर एकतरफा टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। इस ऐलान के बाद भारत सरकार ने भी तुरंत प्रतिक्रिया दी। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने संसद के दोनों सदनों में स्पष्ट रूप से कहा कि भारत सरकार देश के हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

वाशिंगटन डीसी के साथ व्यापार वार्ता जारी

ट्रंप की घोषणा के कुछ घंटों बाद ही भारत सरकार ने भी अपना जवाब दिया। सरकार ने स्पष्ट किया कि वाशिंगटन डीसी के साथ व्यापार वार्ता जारी रखते हुए किसानों, उद्यमियों और MSME के हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार हालिया घटनाक्रम के प्रभावों का बारीकी से आकलन कर रही है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय सभी हितधारकों से संवाद कर उनके सुझाव और आकलन प्राप्त कर रहा है, ताकि राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा और प्रगति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सभी कदम उठाए जा सकें।

सभी हितधारकों की सुरक्षा और विकास सर्वोच्च प्राथमिकता

गोयल ने कहा कि मोदी सरकार किसानों, श्रमिकों, उद्यमियों, निर्यातकों, एमएसएमई और उद्योग जगत के सभी हितधारकों की सुरक्षा और प्रगति को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यूएई, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के साथ सफलतापूर्वक व्यापार समझौते किए जा चुके हैं और सरकार अन्य देशों के साथ भी ऐसे समझौतों के लिए प्रतिबद्ध है। सदन में अपने वक्तव्य के दौरान पीयूष गोयल ने अमेरिका के साथ चल रही वार्ता की जानकारी देते हुए बताया कि दोनों पक्षों के बीच दिल्ली और वाशिंगटन में चार आमने-सामने की बैठकें हो चुकी हैं, साथ ही कई दौर की चर्चा डिजिटल माध्यम से भी संपन्न हुई है।

भारत दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल

पीयूष गोयल ने जोर देकर कहा कि एक दशक से भी कम समय में भारत पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी से निकलकर एक प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था बन गया है और आज दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। उन्होंने यह भी विश्वास जताया कि भारत आने वाले कुछ वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा। दरअसल, यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विभिन्न देशों पर ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ लागू करने की बात कही। इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने कई देशों पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान भी कर दिया।

टैरिफ: अन्य देशों से आयात किए गए माल पर लगाया जाने वाला कर

इस पूरे विवाद को समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि टैरिफ आखिर है क्या। टैरिफ दरअसल अन्य देशों से आयात किए गए माल पर लगाया जाने वाला कर होता है। सामान्यत: यह किसी उत्पाद के मूल्य का एक निश्चित प्रतिशत होता है। उदाहरण के तौर पर, 10% टैरिफ का अर्थ है कि 10 डॉलर के उत्पाद पर 1 डॉलर का अतिरिक्त कर लगेगा, जिससे आयातक को कुल लागत 11 डॉलर चुकानी पड़ेगी। अमेरिका में विदेशी सामान लाने वाली कंपनियों को यह कर सरकार को अदा करना होता है। इसलिए, अमेरिकी टैरिफ बढ़ने का सीधा मतलब है कि किसी अन्य देश से आयातित माल पर अमेरिका में अतिरिक्त कर लगाया जाएगा।

भारत अब भी अपने रुख पर कायम

अब बात करते हैं भारत की। ट्रंप ने दोबारा सत्ता में आने के बाद कई बार यह आरोप लगाया है कि भारत अपने यहां अमेरिकी उत्पादों पर अत्यधिक कर लगाता है, और यदि यह कर कम नहीं किया गया तो अमेरिका भी उसी अनुपात में टैरिफ लगाएगा। हालांकि, उन्होंने केवल भारत ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों को भी टैरिफ की चेतावनी दी थी। इससे पहले चीन समेत कई देशों को ऐसी ही धमकियां दी गई थीं, जिनमें से कुछ के साथ अमेरिका ने मुक्त व्यापार समझौते किए, कुछ के साथ टैरिफ में बदलाव हुआ और कुछ मामलों में बड़े टैरिफ को रद्द भी किया गया। भारत के साथ अमेरिका की वार्ता लगातार जारी है, हालांकि कुछ अहम मुद्दों पर भारत अब भी अपने रुख पर कायम है। खासतौर पर किसानों और एमएसएमई के हितों की सुरक्षा के मामले में भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह इन क्षेत्रों के संरक्षण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार

अगर आंकड़ों की बात करें तो अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वर्ष 2024 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 190 अरब डॉलर तक पहुंचा। इसमें भारत का निर्यात 120 अरब डॉलर और अमेरिका का निर्यात 70 अरब डॉलर रहा। अमेरिका, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत भी है। वहीं, अमेरिका में 163 भारतीय कंपनियों का निवेश लगभग 40 अरब डॉलर का है, जिसने वहां 4.25 लाख प्रत्यक्ष नौकरियां भी सृजित की हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह रणनीति मुख्य रूप से दबाव बनाने का प्रयास है। फिलहाल दोनों देशों के बीच वार्ता जारी है और भारत अपने हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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आखरी अपडेट: 3rd Aug 2025