प्रतिक्रिया | Thursday, April 24, 2025

  • Twitter
  • Facebook
  • YouTube
  • Instagram

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा- ‘नागरिकों की शक्ति और लोकतंत्र का आधार है संविधान’

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम ‘कर्तव्यम्’ में नागरिकों की भूमिका को रेखांकित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। संवैधानिक पद केवल औपचारिक नहीं हैं, प्रत्येक नागरिक की आवाज सर्वोपरि है।

संविधान में संसद से ऊपर किसी भी सत्ता की कल्पना नहीं की गई

डीयू के वाइस रीगल लॉज में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने की। उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि संविधान में संसद से ऊपर किसी भी सत्ता की कल्पना नहीं की गई है। संसद ही सर्वोच्च है और यह स्थिति हर नागरिक के लिए भी लागू होती है। उन्होंने संविधान के मूल तत्वों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि हम भारत के लोग, संविधान के तहत अपनी आकांक्षाओं और इच्छाओं को अपने जनप्रतिनिधियों के माध्यम से व्यक्त करते हैं और चुनावों के माध्यम से प्रतिनिधियों को जवाबदेह ठहराते हैं। उन्होंने 1977 में लगे आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि उसके लिए लोगों द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री को जवाबदेह ठहराया गया था। इसलिए इस बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि संविधान लोगों के लिए है और इसकी सुरक्षा का दायित्व चुने हुए प्रतिनिधियों का है। संविधान की विषय-वस्तु क्या होगी, इसके अंतिम स्वामी वे ही हैं। 

लोकतंत्र अभिव्यक्ति और संवाद से ही पनपता है

लोकतंत्र में नागरिकों के कर्तव्य पर विचार करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र केवल सरकार द्वारा शासन करने के लिए नहीं है। यह सहभागी लोकतंत्र है, जिसमें केवल कानून ही नहीं, बल्कि संस्कृति और लोकाचार भी शामिल है। नागरिकता केवल स्थिति नहीं, बल्कि कार्रवाई की मांग करती है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें समझना होगा कि लोकतंत्र अभिव्यक्ति और संवाद से ही पनपता है। यदि आप सही समय पर सही व्यक्ति से बात करने में हिचकिचाते हैं, तो आप न केवल खुद को कमजोर करेंगे, बल्कि सकारात्मक शक्तियों को भी गहरी चोट पहुंचाएंगे। 

राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका पर जोर देते हुए धनखड़ ने कहा कि हमारे युवाओं को पक्षपात से ऊपर उठकर विचारशील विचार-विमर्श करना चाहिए। भारत का उदय अवश्यम्भावी है और हमें राष्ट्रीय हितों के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए। हम एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए संकल्पित हैं। 

उल्लेखनीय है कि इससे पहले गुरुवार को उपराष्ट्रपति ने राज्यसभा इंटर्न के छठे बैच को संबोधित करते हुए सवाल उठाया था कि घर से नकदी मिलने के मामले में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा पर अभी तक एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि एक संज्ञेय अपराध में कानून के तहत एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य हैं और संविधान केवल राष्ट्रपति और राज्यपाल को ही इस तरह के मामलों में छूट प्रदान करता है। एक महीना बीत जाने के बाद भी हमें नहीं पता की मामले में क्या जांच हुई है। 

सुप्रीम कोर्ट को संविधान की व्याख्या का अधिकार, लेकिन ऐसी कोई स्थिति नहीं हो सकती जहां राष्ट्रपति को किया जा सके निर्देशित 

उपराष्ट्रपति ने इसके अलावा हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर सवाल उठाए थे जिसमें राष्ट्रपति को राज्यपाल की ओर से भेजे गए विधेयकों पर विचार के लिए तीन महीने का समय तय किया गया है। सुप्रीम कोर्ट को संविधान की व्याख्या का अधिकार है लेकिन ऐसी कोई स्थिति नहीं हो सकती जहां राष्ट्रपति को निर्देशित किया जा सके और वे भी किस आधार पर। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन कॉलेजेज प्रो. बलराम पाणि, दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिण दिल्ली परिसर के निदेशक प्रकाश सिंह और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। 

आगंतुकों: 24334534
आखरी अपडेट: 24th Apr 2025