विदेशमंत्री एस. जयशंकर दूसरे कार्यकाल की अपनी पहली विदेश यात्रा पर आज गुरुवार को कुछ ही देर पहले श्रीलंका की राजधानी कोलंबो पहुंचे। जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। विदेश मंत्री जयशंकर ने श्रीलंका के विदेश राज्य मंत्री थारका बालासुरिया और पूर्वी प्रांत के गवर्नर सेंथिल थोंडामन को उनके गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए धन्यवाद दिया। विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह यात्रा भारत की ‘पड़ोसी पहले नीति’ व सागर के तहत है और श्रीलंका को लगातार अपने निकटतम समुद्री पड़ोसी के रूप में देखती है।
यात्रा के दौरान विदेश मंत्री श्रीलंका के साथ दोनों देशों के बीच साझेदारी के व्यापक मुद्दों पर बैठकें करेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि एस. जयशंकर की यह यात्रा दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी परियोजनाओं और अन्य क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से लाभकारी होगा।
उल्लेखनीय है कि जयशंकर पिछले सप्ताह इटली के अपुलिया क्षेत्र में आयोजित जी-7 आउटरीच शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान भारत के कूटनीतिक रुख को दिशा देने वाले प्रमुख भाजपा नेता एस. जयशंकर ने नई सरकार में एक बार फिर से विदेश मंत्री का कार्यभार संभाला।
श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने भारत के साथ जताई सहयोग की उम्मीद
इससे पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि श्रीलंका को बड़े पैमाने पर औद्योगिक विकास का लाभ उठाने के लिए पड़ोसी देश भारत के साथ सहयोग की जरूरत है। विक्रमसिंघे ने कहा, “हमारा पड़ोसी भारत बड़े पैमाने पर औद्योगिक विकास के दौर से गुजर रहा है। तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश इसका अनुभव कर रहे हैं। हमें भी इसमें शामिल होना चाहिए।”
राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ वह भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुई बातचीत के बारे में चर्चा करेंगे। विक्रमसिंघे ने कहा, “सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग तथा तरल हाइड्रोजन प्राप्त करना ऐसे क्षेत्र हैं जहां हम भारत के साथ मिलकर काम करने की उम्मीद करते हैं।