22 अप्रैल 2025 का वह दिन जब कश्मीर की हसीन वादियों में सैलानियों की हंसी, गोलियों की गूंज में दब गई। पहलगाम की बैसरन घाटी, जहां लोग प्रकृति की शांति तलाशने आए थे, एक आतंकवादी हमले की त्रासदी में तब्दील हो गई। कुल 26 निर्दोष पर्यटक इस हमले में मारे गए। पर यह केवल एक हमला नहीं था, यह मानवीयता की हत्या थी, धर्म के नाम पर की गई दरिंदगी थी।
जब नाम पूछा गया और गोलियां चलीं
कई कहानियां पीछे छूट गईं, कई सिंदूर उजड़ गए। शुभम और ऐशन्या की शादी को महज दो महीने हुए थे। आतंकियों ने शुभम से पूछा, “हिंदू हो या मुसलमान?” और जवाब सुनते ही गोली मार दी गई। ऐशन्या की आंखों के सामने उसकी दुनिया उजड़ गई। लेफ्टिनेंट विनय नरवाल, जिनकी शादी को सिर्फ सात दिन हुए थे, पत्नी हिमांशी के सामने मार दिए गए।
हमले में नृशंसता इतनी थी कि आतंकियों ने पहले धर्म पूछा, फिर हिंदुओं को चुनचुनकर गोली मारी।
‘ऑपरेशन सिंदूर’- शहादत का जवाब
हमले के 15 दिन बाद भारत ने खामोशी नहीं, प्रतिशोध चुना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को स्पष्ट निर्देश दिया । “प्रत्येक आंसू का जवाब, सिर्फ शब्दों से नहीं, शक्ति से दिया जाएगा।” भारतीय सेना ने पाकिस्तान के पंजाब और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की। इस जवाबी कार्रवाई को नाम दिया गया । ‘ऑपरेशन सिंदूर’।
नाम स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया । यह हर उस उजड़े सिंदूर का प्रतीक था, जिसे पहलगाम की घाटी में मिटा दिया गया था। दो महिलाएं, जिन्होंने इस ऑपरेशन की आवाज पूरी दुनिया तक पहुंचाई
भारतीय सेना और वायुसेना की दो महिला अधिकारी । कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह । इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी गवाह बनीं। दोनों ने दिल्ली में प्रेस ब्रीफिंग कर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रणनीति और सफलता की जानकारी साझा की।
कर्नल सोफिया कुरैशी
वडोदरा, गुजरात की रहने वालीं। 1999 में सेना में कमीशन प्राप्त किया। ऑपरेशन पराक्रम, UN मिशन और आतंकवाद विरोधी अभियानों का हिस्सा रहीं। 2016 में एशियन सैन्य अभ्यास को लीड करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं।
विंग कमांडर व्योमिका सिंह
एयरफोर्स में 21 वर्षों का अनुभव। चेतक और चीता हेलिकॉप्टर उड़ाने में माहिर। 2020 में अरुणाचल में राहत कार्यों का नेतृत्व किया।
माउंट मणिरंग पर त्रिसेवा पर्वतारोहण अभियान में भाग लिया।
वैश्विक समर्थन : भारत के साथ खड़ी दुनिया
भारत की निर्णायक कार्रवाई के बाद कई देश भारत के समर्थन में खुलकर सामने आए। अमेरिका: “यह हमला आतंक के खिलाफ भारत की न्यायपूर्ण और संतुलित प्रतिक्रिया है।” फ्रांस: “भारत की सुरक्षा संप्रभुता का सम्मान किया जाना चाहिए।” इजराइल: “भारत ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि आतंक कहीं भी छिपा हो, वह सुरक्षित नहीं रहेगा।” जापान, यूएई, ऑस्ट्रेलिया: भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया।
रूस की प्रतिक्रिया: “भारत को अपनी सीमाओं और नागरिकों की रक्षा का पूरा अधिकार है। हम आतंकवाद के खिलाफ उसकी कार्रवाई का समर्थन करते हैं।”
चीन की प्रतिक्रिया: “हम सभी पक्षों से संयम की अपेक्षा करते हैं, लेकिन अगर कोई देश आतंक के खिलाफ कार्रवाई करता है तो उसका कारण समझा जा सकता है।” हालांकि चीन ने नाम नहीं लिया, लेकिन उसने भारत की कार्रवाई की सार्वजनिक आलोचना भी नहीं की । जो अपने आप में एक संकेत था। यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं था…
‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी । यह हर उस आंख का जवाब था, जिसने अपनों को खोते देखा। यह भारत की बदलती रणनीति का प्रतीक था । अब हमला होगा, तो जवाब जरूर मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने स्पष्ट किया । “एक-एक सिंदूर का हिसाब लिया जाएगा।”
यह कहानी सिर्फ गोलियों की नहीं है । यह न्याय की पुकार, वीरता की हुंकार और उजड़े सिंदूरों की चीत्कार है…
इसका नाम है । ‘ऑपरेशन सिंदूर’।