वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने आज मंगलवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए दुनिया का पहला पैनडेमिक समझौते को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है। यह समझौता WHO के 78वें वर्ल्ड हेल्थ असेंबली के दौरान सदस्य देशों की सर्वसम्मति से अपनाया गया। इसका उद्देश्य भविष्य में होने वाली महामारियों के लिए वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारी को मजबूत करना और देशों के बीच मौजूद स्वास्थ्य सेवाओं की असमानताओं को दूर करना है। कोविड 19 महामारी के दौरान हुई मौतों के बाद दिसंबर 2021 में WHO के सदस्य देशों ने एक Intergovernmental Negotiating Body (INB) की स्थापना की थी। इस संस्था का काम एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय समझौते का मसौदा तैयार करना था जो महामारी की रोकथाम, तैयारी और जवाबदेही को बेहतर बना सके। करीब तीन साल तक 13 औपचारिक बैठकें हुईं, जिनमें से 9 बैठकें बढ़ाई गई और कई अनौपचारिक चर्चाओं के बाद अप्रैल 2025 में इस समझौते का अंतिम मसौदा तैयार किया गया।
WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस ने कहा, “आज दुनिया पहले से ज्यादा सुरक्षित है, और यह हमारे सदस्य देशों के नेतृत्व, सहयोग और प्रतिबद्धता का परिणाम है। यह समझौता सार्वजनिक स्वास्थ्य, विज्ञान और बहुपक्षीय सहयोग की जीत है।” उन्होंने आगे कहा, “यह सुनिश्चित करेगा कि हम मिलकर भविष्य की महामारियों से बेहतर ढंग से निपट सकें और दोबारा कोविड-19 जैसी क्षति को न झेलना पड़े।”यह समझौता WHO के संविधान के आर्टिकल 19 के तहत तैयार किया गया दूसरा अंतरराष्ट्रीय कानूनी दस्तावेज है। WHO का पहला दस्तावेज तम्बाकू नियंत्रण पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन था जिसे 2003 में अपनाया गया और 2005 में लागू किया गया।
इस समझौते के तहत अब एक नई प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें Pathogen Access and Benefit Sharing System (PABS) पर चर्चा और समझौता तैयार किया जाएगा। इसके लिए एक अंतर-सरकारी कार्य समूह (IGWG) गठित की जाएगी। जब असेंबली PABS को संलग्न कर लेगी, तब यह पैनडेमिक एग्रीमेंट सदस्य देशों के हस्ताक्षर और संसदों से अनुमोदन के लिए खुलेगा। 60 देशों द्वारा इसे अनुमोदित करने के बाद यह समझौता प्रभाव में आ जाएगा।
इस समझौते के मुताबिक जो फार्मा कंपनियां PABS सिस्टम में भाग लेंगी, वे WHO को महामारी से संबंधित स्वास्थ्य उत्पादों की अपनी रीयल-टाइम उत्पादन क्षमता का 20% हिस्सा जल्दी और सुरक्षित तरीके से उपलब्ध कराएंगी। इसमें वैक्सीन, दवाएं और डायग्नोस्टिक उपकरण शामिल होंगे। इन उत्पादों का वितरण महामारी के जोखिम और सार्वजनिक स्वास्थ्य की जरूरतों के आधार पर किया जाएगा, इसमें खासकर विकासशील देशों को प्राथमिकता दी जाएगी।- (IANS)