अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की 6वीं बैठक कल मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री राज कुमार सिंह ने की। सभा में 20 देशों के मंत्रियों और 116 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। गौरतलब है कि भारत और फ्रांस को संस्था की पांचवीं आम सभा में आईएसए के अध्यक्ष और सह-अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि आईएसए सौर ऊर्जा को प्रचलित ऊर्जा स्रोत बनाने के लिए सदस्य देशों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ है। उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा से 2030 तक दुनिया की कुल 65 प्रतिशत विद्युत आपूर्ति व 2050 तक 90 प्रतिशत बिजली क्षेत्र से कार्बन मुक्त करने में सक्षम हो जायेगी।
असेंबली के सह-अध्यक्ष फ्रैंकोफोनी ने आईएसए के प्रति फ्रांस की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
वाइबिलटी गैप फंडिग में वृद्धि
ऊर्जा मंत्री राज कुमार सिंह ने बताया कि आईएसए की छठी सभा ने परियोजनाओं के लिए वाइबिलटी गैप फंडिग (वित्तपोषण) को 10% से बढ़ाकर 35% करने का निर्णय लिया है। फिलहाल अभी इसके तहत प्रति देश प्रति परियोजना अनुदान राशि 150,000 अमेरिकी डॉलर या परियोजना लागत का 10% (जो भी कम हो)प्रदान किया जा रहा है। अनुदान राशि 10 से बढ़ाकर 35 फीसदी करना विकासशील देशों को इसका फायदा मिलेगा विशेषकर अफ्रीकी देशों को अधिक निवेश प्राप्त हो सकेगा।
उर्जा मंत्री ने कहा कि आईएसए ऊर्जा परिवर्तन और ऊर्जा पहुंच में मदद के दोहरे लक्ष्यों की पूर्ति में दुनिया में एक नयी ताकत के रूप में उभरा है। आईएसए को उर्जा क्षेत्र में काम करने वाले महत्वपूर्ण संगठनों में से एक है। वर्तमान में इसकी प्रसांगिकता और भी ज्यादा है क्योंकि पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती का सामना कर रही है।
इस बैठक के दौरान आईएसए की सहायता से स्थापित चार परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया। इनमें मलावी की संसद भवन का सौर ऊर्जाकरण, फिजी में दो ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल केंद्र 8 किलोवाट,ला डिगू द्वीप सेशेल्स में अपने कृषि हितधारकों के लाभ के लिए पांच टन क्षमता का कोल्ड स्टोरेज की स्थापना किरिबाती में नवाई जूनियर सेकेंडरी स्कूल का सौर ऊर्जाकरण शामिल है ।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के महानिदेशक डॉ. अजय माथुर ने कहा कि विशेष रूप से विकासशील देशों में सौर ऊर्जा के निर्माण में तेजी लाने की आवश्यकता है खासकर उन लोगों को सौर ऊर्जा उपलब्ध कराना जिनके पास पर्याप्त बिजली की पहुंच का अभाव है।
इसके लिए क्षमता निर्माण और नियामक में परिवर्तन आवश्यक है।
महानिदेशक ने बताया कि आईएसए एलडीसी सहित 55 विकासशील देशों में 9.5 गीगावॉट से अधिक सौर एप्लीकेशनों की सुविधा प्रदान कर रहा है। इसके तहत सौर ऊर्जा में लगभग 4000 लोगों को प्रशिक्षण प्रदान कर आय का एक बेहतर विकल्प दिया है।
आईएसए असेंबली निर्णय लेने शीर्ष संस्था है, जिसमें प्रत्येक सदस्य देश का प्रतिनिधित्व होता है। यह निकाय आईएसए के फ्रेमवर्क समझौते के कार्यान्वयन व इसके उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए समन्वित कार्रवाई से संबंधित निर्णय लिया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद द्वारा शुरू किया गया एक संधि-आधारित अंतर-सरकारी संगठन है। सौर ऊर्जा के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के चुनौतियों से निपटने के लिए इसे स्थापित किया गया है। आईएसए की कल्पना 2015 में आयोजित पेरिस जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के 21वें पार्टियों के सम्मेलन (सीओपी21) में की गई थी। 2020 में इसके फ्रेमवर्क समझौते में संशोधन कर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश अब आईएसए में शामिल होने के का रास्ता खोल दिया है। वर्तमान में116 देशों ने आईएसए फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से 94 देशों ने आईएसए के पूर्ण सदस्य बनने के लिए समर्थन किया है।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) अपने सदस्य देशों में ऊर्जा पहुंच,ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सदस्य देशों द्वारा संचालित एक सहयोगी मंच है।
आईएसए ने ‘टुवर्ड्स 1000’ की रणनीति पर आधारित है, जिसका लक्ष्य 2030 तक सौर ऊर्जा समाधानों में 1,000 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश जुटाना है। आईएसए का लक्ष्य स्वच्छ ऊर्जा समाधानों का उपयोग कर 1,000 मिलियन लोगों तक ऊर्जा की पहुंच को बढ़ाना है, जिसके लिए 1,000 गीगावॉट सौर ऊर्जा क्षमता की स्थापित करने की योजना है,इससे हर साल 1,000 मिलियन टन CO2 के वैश्विक सौर उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।